tag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post1256812321211729617..comments2024-02-19T13:48:23.266+05:30Comments on अगड़म बगड़म स्वाहा....: रिसर्च-ए-पियक्कड़ीदेवांशु निगमhttp://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-72838425155275519212013-02-16T15:36:38.768+05:302013-02-16T15:36:38.768+05:30Do baate chook gaye aap pehli to yeh ki-search ka ...Do baate chook gaye aap pehli to yeh ki-search ka matlab h shodh to research ka matlab hua Prtishod....dusari -iss samjik burai ko khatm karne k liye hum sharaab ko pee pee k khatm kar rahe h..matlab bottle me sharaab mat chhodo bachi hui sharaab gaali deti h...<br /><br />Hemant sharmahttps://www.blogger.com/profile/13474486909947153853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-58254228233154313912012-04-25T12:16:44.131+05:302012-04-25T12:16:44.131+05:30और भईया देशी का तो जिक्र करना भूल ही गये आप .....अ...और भईया देशी का तो जिक्र करना भूल ही गये आप .....अब अलग अलग पेय के बारे में भी रि सर्चिया लीजिए आप कर सकते हैं मुझको ये पढके विश्वास हूँ गाय है ......और सही समय पर वाद को विवाद्द में बदलने की कला अच्छी है .......मतलब की सही समय पर जय राम जी की कर लेते हो ....अजनबी -सत्यhttps://www.blogger.com/profile/17490027918243777154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-55270060503563384882012-04-25T12:09:55.363+05:302012-04-25T12:09:55.363+05:30भईया बहुत ही मेहनत की है आपने .......और रिसर्च भी ...भईया बहुत ही मेहनत की है आपने .......और रिसर्च भी बहुत खूब है ....भई हम तो उनमे ही हैं जो सामाजिक बुराई समझते हैं ......लेकिन अब हम कुछ नहीं बूलेंगे वरना .....अब आप समझ सकते हैं की हम क्या कहलाएँगे ........अजनबी -सत्यhttps://www.blogger.com/profile/17490027918243777154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-20709211015253872502012-01-03T14:35:49.604+05:302012-01-03T14:35:49.604+05:30तबतक आप ये बताओ आपको क्या लगता है , आप पीने वाले ...तबतक आप ये बताओ आपको क्या लगता है , आप पीने वाले हो?, “पियक्कड़" हो या आपके लिए पीना एक सामाजिक बुराई है?<br />No comment :D<br /><br />पोस्ट मस्त लिखे हो..रि-सर्च करने के पीछे बहुत सी मेहनत है और खुद को गिनीपिग बनाने का भाव नतमस्तक कर देने वाला है :)<br /><br />ज्यादा क्या लिखें...जिसने पी रखी हो उसका खून हम नहीं पीते ;)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-17315471757411775332011-12-30T04:45:52.530+05:302011-12-30T04:45:52.530+05:30टिप्पणी करने से पहले थोड़ा पीकर आता हूं!टिप्पणी करने से पहले थोड़ा पीकर आता हूं!Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-3709649922178323782011-12-29T11:45:58.928+05:302011-12-29T11:45:58.928+05:30@ संतोष जी...आपकी टीप का इंतज़ार रहेगा !!!! :)@ संतोष जी...आपकी टीप का इंतज़ार रहेगा !!!! :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-16669885489476550072011-12-29T11:42:35.453+05:302011-12-29T11:42:35.453+05:30...टीप फिर लिखूंगा,आज तो कुछ समझ नहीं आ रहा...!...टीप फिर लिखूंगा,आज तो कुछ समझ नहीं आ रहा...!संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-9964562216176834472011-12-29T10:14:28.168+05:302011-12-29T10:14:28.168+05:30@ सुनील जी..हाँ अप्लाई कर दिया..कई सारे लोग उपाधि ...@ सुनील जी..हाँ अप्लाई कर दिया..कई सारे लोग उपाधि देने के मूड में हैं, पर घर वालों से बगावत करनी पड़ेगी...विषय ही ऐसा है :)<br /><br />@विवेक जी...सोच समझ के पी तो क्या पी ? क्यूँ हैं जी??? :) :)<br /><br />@ संजीत जी ..शुक्रिया है जी!!!<br /><br />@ अरविन्द जी ... गुरुदेव !!! मेरी पोस्ट का तो नहीं कह सकता पर आपके कमेन्ट में शैली "पर्सोनिफाइड" :) :) :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-30188101785884927192011-12-29T07:48:00.261+05:302011-12-29T07:48:00.261+05:30*अंगद के पांव्*अंगद के पांव्Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-16431532828020391962011-12-29T07:45:59.759+05:302011-12-29T07:45:59.759+05:30धन्य हो महराज बस यही सर्चने के लिए मिला था :) इस ल...धन्य हो महराज बस यही सर्चने के लिए मिला था :) इस लेख को पढ़ मुझे श्रीलाल शुक्ल का हिन्दी शोधो पर कटाक्ष याद आया -उनके व्यंग संग्रह अंगद के पावन में बया का घोसला लेख था ....<br />जिसमें फुटनोट में शोध छात्र ने लिखा ...बया एक पक्षी का नाम है जो घोसला बनाता है :) <br />आपने इसी तर्ज पर बहुत सी सर्वथा नयी बातों को प्रकाशित किया है .साझा करने के लिए आभार ! :) <br />शैली ने शैली की भी ऐसी की तैसी कर दी है :)Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-51203632922032918312011-12-28T21:47:28.429+05:302011-12-28T21:47:28.429+05:30अल्टीमेट। मजा आ गया।अल्टीमेट। मजा आ गया।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-70338054534398302172011-12-28T18:13:31.931+05:302011-12-28T18:13:31.931+05:30सतयुग में अमृत मिला, द्वापर युग में घी| कलयुग में ...सतयुग में अमृत मिला, द्वापर युग में घी| कलयुग में दारू मिली सोच समझ के पी| वाह गुरू, अपन भी यही सोचते हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-53857837161583232232011-12-28T14:36:04.356+05:302011-12-28T14:36:04.356+05:30इतने कठिन विषय पर रिसर्ची की, ज़रूर पीएचडी (पियक्ड...इतने कठिन विषय पर रिसर्ची की, ज़रूर पीएचडी (पियक्ड़ी की हाईफाई डिग्री) मिलनी चाहिये!<br />लेख सुन्दर लगा तो कमन्टाए बिना रहा नहीं गया :)Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-88724403771351923882011-12-28T09:10:41.575+05:302011-12-28T09:10:41.575+05:30अपूर्व भाई...इस ज्वलंत मुद्दे को उठाने के लिए धन्य...अपूर्व भाई...इस ज्वलंत मुद्दे को उठाने के लिए धन्यवाद :)<br />मुफ्त में पिलाने कि घटना या तो किसी पार्टी में होती है या किसी दोस्त के साथ...<br />अगर पार्टी ऑफिस कि है तो इंसान ये समझ के जादा पीता है कि तनख्वाह नहीं दे रहे तो कम से कम इनका बिल बढ़वाया जाये, और अगर किसी कि शादी हो तो कंपटीसन में इंसान पीता है| दोनों ही केस में इंसान "पियक्कड़" हो जाता है..<br />और जब दोस्त के साथ हो तो दोस्ती कि मिठास नशा बढ़ा देती है, १ पेग ३ के बराबर किक मारता है, ऐसे मौको में पीने कि बजाय "खींचने" का लोजिक काम आता है, और इंसान "पियक्कड़" होने की दहलीज़ पे पहुँच जाता है..<br />कभी कभी हमें कोई ऐसा शख्श दारू पार्टी में बुलाता है जिससे हमारा पुराना लफड़ा रहा हो, इस पार्टी में फिर ऑफिस वाली पार्टी का लोजिक अप्लिकेबल होता है...<br />कभी कभी हम किसी ऐसी पार्टी में भी लैंड कर जाते हैं जहाँ, ना तो हम इन्वाइटेड होते हैं और ना हम पार्टी देने वाले को जानते हैं, बस इसी पार्टी में "होल्ड द ड्रिंक" के नाम पे हम धीरे धीरे पीते हैं और "पीने वालो" की श्रेणी में आते हैं (बस तब तक जब तक पार्टी देने वाले कि नज़र या तो आप पर रहे या आप सोचने न लगे कि "हू केयर्स" )<br />कुल मिला के मुफ्त की पिलाई जाने पर इंसान पियक्कड़ ही बन जाता है :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-83519084978661604872011-12-28T03:20:36.384+05:302011-12-28T03:20:36.384+05:30भई खूब खून पिया..अर्र मेरा मतलब अच्छी-खासी रिसर्च ...भई खूब खून पिया..अर्र मेरा मतलब अच्छी-खासी रिसर्च कर मारी..इतना अकादमिक ज्ञान तो हलक से उतारने के पहले दो घूँट मारने की जरूरत होगी..हमे तो दारू नही तो रिसर्च ही चढ़ गयी..अगर माल्या चचा के जर्नल मे भेज दी ये पोस्ट तो समझो कि किंगफ़िशर के अगले साल के कैलेंडर के लिये तुम्हारा माडलगिरी के लिये नाम पक्का...वो भी पक्के पियक्कड़ों के लिये सिर्फ़..वैसे ’जब मुफ़्त की पीते हैं तो चढ़ जाती है’ टाइप्स पियक्कड़ो के बारे मे रिसर्च क्या कहती है.. :-)अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-41254281789076521662011-12-27T11:58:11.202+05:302011-12-27T11:58:11.202+05:30@पीडी...हम चाय पिलाते हैं और खून पीते हैं :)
@आलोक...@पीडी...हम चाय पिलाते हैं और खून पीते हैं :)<br />@आलोक...शुक्रिया दोस्त!!!<br />@अभिषेक...भाई ये बाहर से समर्थन देने वाले खतरनाक होते हैं, मौका देखते ही कट लेते हैं...हाँ या ना में जवाब दिया जाये :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-73080343094612793512011-12-27T05:35:39.641+05:302011-12-27T05:35:39.641+05:30हम? हम पियकड्डी को बाहर से समर्थन देते हैं :)हम? हम पियकड्डी को बाहर से समर्थन देते हैं :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-55028055778012646282011-12-26T13:50:13.624+05:302011-12-26T13:50:13.624+05:30ho ho ho ,sabse mazedar khoj been,,maza aayaho ho ho ,sabse mazedar khoj been,,maza aayaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1031779511720763402.post-40944981600021058262011-12-25T16:59:23.972+05:302011-12-25T16:59:23.972+05:30साले, बहुत खून पी लिया, अब चुप कर!!साले, बहुत खून पी लिया, अब चुप कर!!PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.com