(इस कहानी को कृपया कमजोर हृदय वाले लोग पढ़ने की कोशिश ना करें, बल्कि पूरा पढ़ें | बाकी भी पूरा पढ़ सकते हैं| इस कहानी में ड्रामा है, ट्रेजडी है, कॉमेडी है, नाच-गाना भी जबरदस्ती में घुसेड़ दिया गया है…)
हाँ तो दरसल मैं उनलोगों से मुखातिब हूँ जिन्होंने मेरे सामने वाली खिड़की में रहने वाले चाँद के टुकड़े में बेशुमार और बेहिसाब इंटरेस्ट दिखाया था | तरह तरह के सवाल पूंछे गए हैं मुझसे…कौन है? कैसी है? फोटो-वोटो भेजो जरा हम भी देखें, अकेले मजे ले रहे हो…
तो लो सब लोग पढ़ लो…(और ले लो मजा)
आगाज़ : शाम का सात - आठ के बीच का कोई टाइम हुआ होगा…मैं अपने नए घर में शिफ्ट ही हुआ था | घर पहुंचा ही था कि एक दोस्त का फोन आ गया…बात करते-करते मैं अपने कमरे की खिडकी पे जा खड़ा हुआ| बस वहीँ…ठीक मेरी सामने की खिडकी से वो गुज़री…और महसूस ही नहीं हुआ कि दोस्त की आवाज़ फोन पे कब घुन्धली हो गयी..और कब उसने फोन काटा..दुबारा फिर फोन किया और ये कहते हुए फिर फोन काटा “कि जब होश में आ जाना तो खुद ही फोन कर लेना"…तब जाके समझ आया कि दुर्घटना हुई है…खैर!!!! रंग दे बसंती के डीजे का डायलोग याद आ गया “मेन्नू प्यार हो गया सि”
एक बार फिर प्यार : पहली मुलाकात को भूलने में भी टाइम नहीं लगा| और वो इस लिए भी कि ऐसा पहली बार थोड़े ही हुआ है (अब कोई सतरा-अठरा सालों का तो हूँ नहीं, और कौन कहता है कि पहला प्यार नहीं भूलता, जिसको हर गली, हर मोड़ पे प्यार हो जाये, ना तो उसे पहला प्यार भूलते देर लगती है और ना आखिरी…)
हाँ तो दूसरी मुलाकात, वो तब हुई जब मै अपने रूम-मेट्स के साथ अपना लैटर बॉक्स देखने गया| वहाँ पे एक मोहतरमा खड़ी थी…”एक मोड़ आया मैं उत्थे दिल एक बार फिर छोड़ आया" | अबकी नींद तब टूटी जब आवाज़ आयी “तुम्हारा कोई लैटर नहीं आया है"|
जब तक हम चलते, मोहतरमा जा चुकी थी| वो भी अपना लैटर बॉक्स चेक करने ही आयी थीं| मैंने कहा “रुको!!! देखो कौन से नंबर का लैटर बॉक्स चेक कर रही थी" | घर का नंबर पता चलते ही चल पड़े घर पता करने | जब घर पहुंचे तो पता चला..
“जिसे ढूँढा गली-गली…वो घर के पिछवाड़े मिली”
ये वही खिडकी वाली मोहतरमा थी..”सच्चा" प्यार हो गया…तुरंत फेसबुक पे स्टेटस अपडेट किया…
“मेरे सामने वाली खिडकी में एक चाँद का टुकड़ा रहता है...”
अगले २-३ दिन : सुबह (जल्दी जाग के) और शाम (ऑफिस से भाग के) की चाय खिडकी पे पीना शुरू…बाद में गिटार प्रैक्टिस भी खिडकी पे | पर ये तो अमरीका है…यहाँ पड़ोस के कमरे में भी बातें जीटाक पे होती हैं….मेरे प्यार और मेरे गिटार दोनों की आवाज़ उस तक कैसे पहुँचती…और मैं अपने “सच्चे" प्यार को कैसे भूल जाता…मैं जोर (अपना) शोर (गिटार का) से लगा रहा | रूममेट्स को हिदायत दे दी गयी…
“जैसे दिखे तुरंत सिग्नल देना (प्रीतम आन मिलो वाला, दरवाजे पे नाखून बजा के).. समझे!!!”
सिलसिला चलता रहा….
और आ गया वीकेंड : वीकेंड का वेट वीकेंड खतम होते ही होने लगता है..
“ये मत सोचो वीकेंड में कितनी जिंदगी है…ये सोचो कि जिंदगी में कितने वीकेंड हैं"
पूरा वीकेंड कब गुज़रा..पता ही नहीं चला (कोई नयी बात बताओ) ना वो दिखी, ना खिडकी खुली, ना बत्ती जली (और मैं बन गया भीगी बिल्ली)
अगला मंडे : जल्दी जागने की आदत के चलते फिर सुबह जा धमका मै खिडकी पे..बस आगे की कहानी ना पूंछो..उसकी खिडकी के आधे हिस्से में काली प्लास्टिक (she is not eco-friendly) और बाकी आधी खिडकी बंद…मैं बहुत खुश हुआ…”किसी ने तो मुझे नोटिस किया"
रूम-मेट्स बोले “वहशी दरिंदे…१० महीने से रोज खिडकी खुलती थी…३-४ दिन में बंद करा दी तूने"
करेंट स्टेटस : एक बार और दिखी है तब से..कार से उतरते हुए…बस्…लेकिन बाकी दुनिया ने पूंछ पूंछ के ढेर कर दिया है उसके बारे में…कसम से ये गाना बड़ा दुःख भरा है…
“ये खिडकी जो बंद रहती है"
वैधानिक चेतावनी : इस कहानी को पढ़ने के बाद अगर किसी ने दुबारा मेरे से चाँद या चाँद के टुकड़े के बारे में कुछ भी पूंछा तो I will sue them in American Court…हर्जे खर्चे के लिए वो खुद ज़िम्मेदार होंगे| रवि और पंकज इस बात का विशेष ध्यान रखें…
जाते जाते…एक दुखभरा गाना आप सबको सुनाये देता हूँ…आँसूं संभाल लीजियेगा…
और अगर विडियो और कहानी में लिंक ना समझ आया हो तो नीचे कमेन्ट में अपनी भड़ास निकाल सकते हैं…और अगर आ गया है समझ में, तो भी लिख दो जो मर्जी हो..आखिर पोस्ट फर्जी है ना..…. अल्लाह हाफ़िज़!!!!
--देवांशु
वो पहला प्यार जो हर खुबसूरत लड़की से हो जाता है ... उसका शिकार एक और नादान हो गया. ये समस्या काफी अजीब है और ज्यादातर एक तरफ़ा ही होती है ... वो गाना तो सुना ही होगा... कहीं दीप जले कहीं दिल .....इसका और कोई फायदा हो न हो.. दिल काफी मज़बूत और दिमाग काफी नरम हो जाता है. वैसे ये खुबसूरत लड़कियां चाहती क्या हैं .. ये हमेशा एक राज़ ही रहेगा .. और हममे क्या खराबी है ये तो मरने के बाद जब कोई हमारी बातें करेगा तभी पता चलेगा.
जवाब देंहटाएंमगर तुम फिक्र न करो दोस्त तुम अकेले नहीं हो. निकल पड़ो नए प्यार की तलाश में...All The Best !!!
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंदर्द गहरा मालूम होता है.मगर हम भी कुछ ऐसे निर्दयी हैं कि आपकी दर्द भरी दास्तान पढ़कर भी अपनी हंसी न रोक पाए...गुस्ताखी माफ़!!!
Hmmmm... :D :D :D
जवाब देंहटाएंKaafi tym baad koi hansta blogpost padha... baaki Smriti ji se udhaare lete hain.. maane unki aur hamari bhavnaayein same to same.. :P
पोस्ट पढ़ कर उत्सुकता बहुत बढ़ गयी कि आजकल चाँद के टुकड़े के क्या हाल हैं? ;)
जवाब देंहटाएंयार सारी गफलत 'टुकड़े' के कारण है, उसे पूरा चाँद कहा करो :) चांस बढ़ेगा. पोस्ट मस्त है एकदम...और हम भी समझते हैं कि असल में तुम्हारा 'दुःख' फर्जी है :)
lage raho...aaj ka tukda kabhi poora hoga hi...all the best!
जवाब देंहटाएंmazedar write up hai...
बेशक आप इसे फर्जी पोस्ट कहें पर हंसी हमारी असली निकली.क्या करें दूसरों का दुःख देखकर ये जमाना हँसता ही है.:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट.
फिर से 'पहला' प्यार कहना चाहिए :)
जवाब देंहटाएंअबे, नाम भी तो लिखो..
जवाब देंहटाएंअद्भुत शिल्प और नए युग और पीढी की कहानी
जवाब देंहटाएंu r a star buddy.. i love it .. :)
जवाब देंहटाएंअच्छा तो इस गाने की हीरोईन और कहानी की हीरोईन एक ही है! डन्डा वाला विलेन कौन है ये समझ नही आया!
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