वो क्या है कि हमारे पार आइडियाज़ की बिलकुल कमी नहीं है, भले ही हों सब एक से एक घटिया!!! एक घटिया आइडिया भी किसी की लाइफ की वाट लगा सकता है !!!
पर क्या है कि पिछले दिनों से आइडियाज़ भी आमरण अनशन पे बैठ गए हैं | बोल रहे हैं अगर तुमने हमारा “सदुपयोग” बंद ना किया तो हम बागी बन जायेंगे | हम भी ठहरे मोटी चमड़ी के इंसान | हमने कहा कि नहीं सुधरेंगे तो का कर लोगे बे ? तो बोले कि हम किसी और के दिमाग में चले जायेंगे | हमने कहा “जी हाँ, ऐसे कैसे जा पाओगे , आइडियाज़ तो दिमाग में आते हैं, और लोगो के दिल से दिल मिलते हैं, दिमाग से दिमाग जुड़े सुना है भला कभी ?”
पर इससे पहले कि हम खुश होते, आइडियाज़ के लीडर ने कहा “इन्सेप्शन" देखी है, लोग सपने बाँट लेते हैं, तुम आइडिया की बात कर रहे हो, तार फिट करेंगे और कूद के पहुँच जायेगे | हेड-फोन ने हमें बाहर से समर्थन देने कि घोषणा भी कर दी है पहले ही | हम डर गए | यहाँ तो आइडियाज़ के पास भी आइडियाज़ हैं | हमने सारे आइडियाज़ को बोला शांत बैठो तुम सब लोग, अप्रैल आ गया है , मई-जून में गर्मियों की छुट्टी में घुमाने ले जायेंगे, शिमला, समझे | अभी शांति है फिलहाल !!!
हाँ तो आइडिया अभी नहीं है हमारे पास (शांति के पास हैं) , लेकिन फिर भी लिखे बिना मन नहीं मान रहा | तो हमने आइडियाज़ चुराने का प्लान बनाया (इंस्पायर हो गए) | पहले प्रशांत को पकड़े, फिर अनूप जी को | एक-एक पोस्ट लिख मारे | कुछ और सोच ही रहे थे कि दो बातें हो गयी :
१. एक तो हमपे आरोप लग गया कि हम महिलाओं के साथ अन्याय कर दिए क्यूंकि “गुंडागर्दी" में उनको शामिल ना किये !!!
२. और “बज़ एक्सपोर्ट" पे पता चला कि लोगो को लड़ना-झगड़ना नहीं आता है |
अब ये कोइंसीडेंट था कि दोनों बातें पूजा की तरफ से आयीं| हाँ हाँ वही लहरें वाली | कल झगड़ने के मूड में थी | लहरों कि जगह ज्वर-भाटा आया हुआ था | :)
हम बचपन से लड़ने-झगड़ने और पिटने में एक्सपर्ट रहे हैं | एक दम टाप क्लास | एक बार हम अपने एक दोस्त की चुगलखोरी के कारण टीचर से बहुत मार खाए, स्कूल के बाहर दोस्त को सूत दिए और भाग खड़े हुए | छोटा भाई भी साथ ही था, वो छोटा था, भाग नहीं पाया, मेरे दोस्त ने उसे मारा | फिर हम भाई को बचाने गए | तो दोस्त को हमने पीटा | जब दोस्त चला गया तो छोटे भाई ने हमें पीटा कि तुम्हारे चक्कर में हम पिट गए | घर आके भाई ने मम्मी से शिकायत की | इस बार हम पिटने से बचने की खुशी मना ही रहे थे कि मेरे दोस्त की माताश्री, हमारी माताश्री से लड़ने आ गयी कि आपके दोनों लड़कों ने मिलके हमारे लड़के को पीटा | पूरे मोहल्ले ने मेरी माताश्री का समर्थन किया तो घर के बाहर बात ठंडी हो गयी पर शाम तक पापा को पता चल गयी | अब पापाजी ने हमको धर के कूटा | छोटी बहन काफ़ी छोटी थी | बस वही बची जिसने हमें ना तो मारा ना डांटा |
तो हमने सोचा कि अपने अनुभव को सबसे बांटते हैं | लड़ाई करने के तरीकों को हमने “डाकूमेंट" करने की ठान ली |लड़ाई के तरीके समझने से पहले लड़ाई के टाइप समझने कि ज़रूरत है |
लड़ाई कईयों टाइप की होती है | बच्चे आपस में अक्सर लड़ते हैं | जवान लोगो की आँखें लड़ जाती हैं | थोड़ा और बड़ा होने पर लोग दिमाग लड़ाने पर लग जाते हैं | एक उम्र के बाद लोग जबान लड़ाने पे "बिलीव" करने लगते हैं | मतलब लड़ाई का दिया भी जिंदगी के दिए के आस-पास ही बुझता है | कुछ लोग तो जाने के बाद भी लड़ने के लिए काफी “मटीरियल" छोड़ जाते हैं| :)
हाँ!!! तो लड़ना एक रासायनिक अभिक्रिया है | क्रिया है तो कर्म भी है, कर्म है तो कर्ता भी है | (और ये लाइन फालतू की है)| तो होता ऐसे है कि शरीर में जब एक विशेष प्रकार के हार्मोन्स ज्यादा बनने लगते हैं ,तो दिमाग में “केमिकल लोचा" हो जाता है | यही लोचा आपको लफड़े करने पर मजबूर करता है | लफड़ों के चलते लड़ाई होती है | (साइंटिस्ट)
कभी-कभी ऐसा नहीं भी होता, मन में खयाल आता है कि चलो बड़े दिन हुए, किसी से लड़ाई कर डालें | वैसे भी किसी का नाम याद करना हो तो उससे लड़ाई कर लो, कायदे से , ता-उम्र उसका क्या, उसके खानदान का नाम नहीं भूलोगे | प्यार में इतनी पावर नहीं होती है , जितनी लड़ाई में होती है | ईसई टाइप कि लड़ाई के हम स्टेप आपको बताने जा रहे हैं ( ये सारे स्टेप एक्सपर्ट द्वारा लिखे गए हैं २-३ और एक्सपर्ट्स के “आब्ज़र्वेशन" के साथ, बच्चे इसका प्रयोग करते समय बड़ों के साथ रहें, और हाँ जिससे आप प्यार करते हैं, उनपे ये नुस्खे भरपूर चलायें, लड़ाई प्यार में “कैटालिस्ट” का काम करती है) :
१. सबसे पहले तो एक अदद इंसान, जो पुरुष या महिला कोई भी हो सकता है, को पकडें जिससे आपकी “कॉफी” (पे) बात होती हो |
२. फिर उससे अचानक से बात करना बंद कर दें| इग्नोर-शिग्नोर भी कर सकते हैं |
३. पहले उसे लगेगा कि आप बिज़ी हैं | यहाँ पे ये जिम्मेदारी आपकी है कि आप इंश्योर करें कि उसे पता चल जाये की आप बिलकुल बिज़ी नहीं हैं|
४. अब ये पता करें कि उसे क्या पसंद नहीं है | जैसे कोई गाना, कोई हीरो-हिरोइन, कोई मूवी| इसी टाइप का कुछ | जब भी बात करें तो थोड़ी देर के लिए बात करें, और उसी “नापसंद" चीज़ के बारे में बात करें|
५. जब वो बोले कि उसे ये पसंद नहीं है ये सब तो बोल दो “बड़े/बड़ी अजीब हो , तुम्हें ये नहीं पसंद"|
६. फिर वो भड़क के आपसे बात नहीं करेगा/करेगी , आप भी मत मानो, काल करो, पिंग करो | फिर पूछो तुम्हें क्यूँ नहीं पसंद |
७. ऐसा तब तक करो जब तक वो भड़क ना जाये |
वैसे लड़ाई झगड़ा अच्छी बात नहीं है | इंसान सबसे ज्यादा उसी से झगड़ता है जिसे सबसे ज्यादा प्यार करता है | रहीम दास जी ने भी कहा है
रहिमन धागा प्रेम का , मत तोडो चटकाय,
टूटे फिर, फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ||
इसलिए लड़ो, पर थोड़ा संभल के :) :)
(हाय राम !!! इतनी सीरियस बात )
वैसे पोस्ट में कुछ भी काम का नहीं है, ऐसे ही फालतू में लिख दिए | हाँ अगर आप ये नुस्खा अपनाने जा रहे हो तो ध्यान रहे कि अब ये पब्लिक हो गया है | सावधान रहें कहीं कोई ये आप पे ना आजमा दे | संयम से काम लें |
मन हमारा एक बार फिर कर गया कोई कालजयी कविता लिखने का | लाइन भी ढूंढ लाए | मैथिलि शरण गुप्त जी कि “सखी वे मुझ से कह के जाते” की तर्ज पे “सखी वे मुझसे लड़ के जाते" | पर आइडियाज़ तो स्ट्राइक पे हैं, तो लाइन नहीं मिल पा रही | आप कोई आइडिया दो ना !!!!
और हाँ ये पोस्ट सभी लोगों पे बराबर लागू है , कृपया इसपे पुरुष/स्त्री विरोधी होने का आरोप अपने रिस्क पे लगाएं !!!
नमस्ते!!!!
--देवांशु