हमेशा कम्पटीशन का ज़माना रहा है भाई | जहाँ देखो वहाँ कम्पटीशन | कम्पटीशन का सबसे बड़ा कारण, “काबिल" लोगो की बहुतायत है | कॉलेज में सीट कम है, पढाई करने वाले ज्यादा | हो गया कम्पटीशन | सबको पिटने से डर लगता है , पीटने वाले ज्यादा है, पिटाई में कम्पटीशन |
पहले लोग सभ्य हुआ करते थे, ज्यादातर लोग संत टाइप थे, संतई में कम्पटीशन था | कम्पटीशन में किसी ने कुआँ खुदवा दिया, बोले गरीबों को पानी पीने में आसानी होगी | गर्मियों में स्काउट रेलवे स्टेशन में खड़े होकर आने जाने वाली ट्रेन के यात्रियों को पानी पिलाते थे , एक को बुलाओ ४ आते थे , वहाँ भी कम्पटीशन था | कोई सराय खुलवाता, कोई अलाव जलवाता | कहते गरीबों को मदद होगी पर असल कारण “कम्पटीशन" था, महान बनने का “कम्पटीशन” |
फिर जमाना बदल गया, अब कुओं पर कब्ज़ा करने का कम्पटीशन आ गया | धर्मशालाएं होटल बन गयी | होटल चलाने का कम्पटीशन आ गया | रेलवे स्टेशन पर पानी की टंकियों से साफ़ पानी और स्टेशन से स्काउट दोनों गायब हो गए | अब कम्पटीशन पानी बेचने का है | अलाव जलाने की लकड़ी चोरी करने का कम्पटीशन भी मार्केट में है|
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ये तो हुई सटायर लिखने की कोशिश, अब मुद्दे की बात करते हैं | पिछले दिनों अनूप जी ने गुंडा पहचानने के फायदे बताये और साथ ही गुंडों के शेयर मार्केट का आइडिया भी दे डाला | उन्ही से “चैटियाते” टाइम ये आइडिया भी आया कि अगर गुंडों का शेयर मार्केट बने तो उसका काम काज कैसे चलेगा | कई दिन से इसी पे रिसर्च किये , अब छाप रहे हैं , झेलिये …
ये गुंडा-गुंडा क्या है ये गुंडा-गुंडा!!!
गुंडा (GUNDA) शब्द का “मतबल” है Genuinely Unrated Nationality Development Activist, बोले तो “एक ऐसा तरक्की पसंद इंसान जिसे जान बूझकर बुरा बताया गया है पर वो पूरे देश के बारे में सोचता है, राष्ट्रीयता बढाता है " |
आपको क्या लगता है गुंडा बनना आसान है | आप लोगो का क्या झट से बोल दिया फलां आदमी बहुत बड़ा गुंडा है | पर गुंडा बनाने का दर्द उस माँ से पूंछो जिसका बेटा “स्ट्रगलिंग" गुंडा होता है | रोज कहीं से पिट-कुट के आता है , हल्दी-चूना मरहम-पट्टी सब करनी पड़ती है | कभी कभी तो २-४ लोग लेकर आते हैं, अकेले आ भी नहीं पाता | उनके लिए चाय बनाने का काम करने वाले उसके भाई-बहनों पे क्या बीतती होगी , कभी सोचा आपने | झट से कह दिया कि भई ये तो गुंडा है | इतना आसान नहीं है गुंडा बनना |
इसी सब “भाउक" बातों को सोचके हमें लगा कि गुंडों के लिए शेयर मार्केट का आइडिया अच्छा रहेगा | जैसे शेयर मार्केट से इंडस्ट्री को भी फायदा है और लोगो को भी , उसी तरह से गुंडों की शेयर मार्केट से भी सबको फायदा होगा |
बेसिक कंसेप्ट
बेसिक कंसेप्ट वही है जो अनूप जी ने बताया, आप गुंडे पे अपने पैसे लगाओ कि इसको पकडे जाने की कीमत क्या लगेगी, फिर जब उसे बड़ी कीमत लग जाए तो उसे पकड़वा के सरकार के हवाले करवा दो | सरकार से उतने पैसे लो जितना इनाम है , पकड़ने वाले को उतने दो जितनी आपने बोली लगाई थी, डिफरेन्स आपका | बस यही है बेसिक फार्मूला|
अब देखिये बात ये है कि हर कोई तो कर नहीं सकता गुंडा-गर्दी, तो ऐसे ही काम चलेगा सबका ना |
पर अगर आप खुद ही एक गुंडे का जुगाड़ कर लीजिए तो सारा पैसा आपका | उसके जुगाड़ पे रिसर्च की गयी | उसका सार ऐसे है :
सबसे पहले एक गुंडा ढूंढिए
सबसे पहले तो आपको एक अदद ऐसा टुटपुंजिया गुंडा ढूँढना पड़ेगा जिसमे “स्कोप” हो और बाकी जनता की उसपे नज़र ना पड़ी हो | फिर उससे कोई “कांड" करवा डालिए | पॉकेट मारना, चेन चुराना जैसे छोटे काम करने से मार्केट में उसका नाम खराब हो सकता है | फेसबुक जैसी चीज़ें आ जाने से लड़के लड़कियों के पीछे उनके मोहल्ले तक जाने का काम भी नहीं कर रहे हैं , मार-पीट का स्कोप भी कम हो गया है | महंगाई के चलते लोगो के घर में पैसा वैसे भी नहीं है तो चोरी-चकारी का मौका भी कम ही है |
आपको कुछ नया ढूँढना होगा | जैसे धमकी दिलवाना , चौराहे पे बिना बात के हुल्लड़ कटवाना | हफ्ता वसूल करवाना | इसी टाइप का कुछ | ये भी सबके बस का नहीं है | इन दैट केस, आपको अपने “गुंडे" की पब्लिसिटी “चौकस” करनी पड़ेगी, तभी बात बनेगी | जैसे उसने अगर उसने किसी को थप्पड़ मारा तो आप हल्ला मचवा दो कि उसने किसी को मार मार के लहुलुहान कर दिया| सारा मामला “इमेज" का है |
नेक्स्ट स्टेप
नेक्स्ट स्टेप होगा कि आपके गुंडे को “मार्केट" में रजिस्टर करवाना पड़ेगा | आप यहाँ पे पुलिस की मदद ले सकते हैं | एक बार उसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में आ गया तो समझ लो आपके “इन्वेस्टमेंट" ने पहली बाधा पार कर ली | अब थोड़े दिन तक मोहल्ले-मोहल्ले में हल्ला मचवा दीजिए कि “वो यहाँ देखा गया चाय पीते हुए , वो उस दुकान पे पान खा रहा था” | इससे उसकी “पब्लिक अवेयरनेस" बढ़ेगी |
दांव लगा ले , लगा ले , दांव लगा ले
गुंडई के शेयर मार्केट में गुंडे का दाम केवल एक बार लगेगा | सारे लोग दाम लगा पाएंगे | किसी गुंडे के दाम का ऊंचा होना उसके “जनता में टेरर" के समानुपाती होगा | फिर जो सबसे ज्यादा और “रीजनेबल" दाम लगायेगा | “गुंडा" उसको “अलाट" कर दिया जायेगा | अगर आपने कोई गुंडा अलाट करवा लिया तो आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जायेगी | पहले तो आपको उसे खुला छोडना पड़ेगा | जिससे वो और नाम कमा सके | फिर उसे हेल्प करनी होगी की अब वो लोगो के नाक में दम करने के साथ साथ, सरकार का भी सुख चैन छीन ले | तब जाके कहीं आपके लगाये पैसों से कुछ रिटर्न की गारंटी दिखनी शुरू होगी |
टाइमिंग का मामला भी है
गुंडे को अलाट करवाने के बाद सरकार द्वारा उसके दाम लगाने तक , टाइमिंग का खयाल रखें | ज्यादा जल्दी ना दिखाएँ | उसको अपना काम करने दें, जिससे काफी लोग अपना काम ना कर पायें | सरकार स्टार्टिंग में ज्यादा इनाम नहीं रखेगी | २-४ बार इग्नोर करें | हाँ ये भी ध्यान रखें कि "गुंडा" पकड़ से बाहर ना हो जाए | ऐसा होने पे आपके पैसे डूबने की संभावना है | कोशिश करें कि “रेगुलर इंटरवल" पे उसके कारनामे मार्केट में आते रहे | इससे मार्केट में उसका “भौकाल” बढ़ेगा | प्राइस भी बढ़ेगा | इस मार्केट में “शोर्ट सेलिंग" से बचें | अधिक दिनों तक गुंडे को होल्ड करना आपको ज्यादा रिटर्न दे सकता है |
सरकार की भी कुछ जिम्मेदारी है
एज पर द रूल ऑफ “Regularity Authority of Gunda Share Market (RAGSM), सरकार किसी गुंडे पर उसके जनता द्वारा बोली लगाये गए पैसों से कम का इनाम नहीं रख सकती | सरकार ये भी इंश्योर करेगी कि जब कोई पकड़े गुंडे को तो उसे तय राशि (जितनी बोली लगाई गयी थी ) और जिसने बोली लगाई थी उसे इनाम का पैसा (जो सरकार ने डिसाइड किया था )पूरी तरह मिले, विध मिनिमम टैक्स| इन केस आप ही गुंडा ढूंढते हैं , तो अपनी टैक्स लाइबिलिटी का ध्यान रखें |
खतरे का भी ध्यान रखें
आपके इन्वेस्टमेंट को सबसे बड़ा खतरा तब हो सकता है जब कोई आपका “अलाटेड” गुंडा, चुनाव में खड़ा हो जाए | क्यूंकि अगर वो चुनाव जीत जाता है तो उसपे कभी इनाम की राशि आएगी ही नहीं | पैसा डूब जायेगा आपका | इसलिए कोशिश करें उसे चुनाव की महक भी ना लगे | और अगर लग भी गयी तो थोड़ा पैसा और डालके उसके खिलाफ ज़हर उगलें, उसकी इमेज और गिरवा दें , जिससे वो चुनाव ना जीत पाए | इससे आपका ज्यादा पैसा नहीं डूबेगा |
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ये सब तो कुछ मुख्य मुख्य बातें थी | बाकी आपको क्या बताएं , आप लोग होनहार हो | हाँ इसको पढने के बाद गुंडा बनने में भी “कम्पटीशन" आ सकता है | सोचो गुंडा भी आप, बोली भी आप लगाओ, फिर खुद को पकड़वा दो | सारा पैसा आपका | बाहर आने में जो खर्चा पानी लगेगा वो देना पड़ेगा | वैसे भी “सरकार की योजनाओं से ज्यादा सुविधा तो जनता को सुविधा शुल्क से हुई है”| काका हाथरसी ने भी कहा है “रिश्वत पकड़ी जाये, छूट जा रिश्वत देकर" |
खैर ये सब तो हुआ “गुंडई" पे ज्ञान | इसी को लिखते लिखते हमने एक और कालजयी कविता लिख मारी | कविता की ट्यून “सूरदास" जी से उधार ली है … गौर फरमाएं…
भईया हम तो तगड़ा गुंडा बनिहों,
लोग-बाग सब संत बड़े हैं ,अपनी अपनी जिद पे अड़े हैं |
भरी धूप है , छत भी गायब, पोथी लेकर पीछे पड़े हैं |
हम उनकी "घंटा" ना सुनिहों,
भईया हम तो तगड़ा गुंडा बनिहों |
भईया हम तो तगड़ा गुंडा बनिहों,
अपन को थोड़ी दारू पिला दे , सुन्दर सी साकी मिलवा दे |
व्हिस्की वोडका रम दिलवा दे , थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे|
हम सीढ़ी एक ना चढिहों,
भईया हम तो तगड़ा गुंडा बनिहों |
ब्लड डोनेशन कैम्प में आने का बहुत बहुत शुक्रिया…
नमस्ते
--देवांशु
ha ha ha ....waise yar filmo me gunde ko sunder ladki mil jati hai....puri picture gunde ke ass pass chalti hai..sarifo ka jamana nhi reha ,jo aadmi do char murder kr de usko bhaiya kah ke bulte hai aur sarif ko tum kerke baat kerte hai
जवाब देंहटाएंha ha ha ....waise yar filmo me gunde ko sunder ladki mil jati hai....puri picture gunde ke ass pass chalti hai..sarifo ka jamana nhi reha ,jo aadmi do char murder kr de usko bhaiya kah ke bulte hai aur sarif ko tum kerke baat kerte hai
जवाब देंहटाएंBeauty lies in the eyes of Beer holder !!! :) :)
हटाएंबाकी यार शरीफों के बारे में कुछ भी कहने से पोस्ट मना करती है :) :) :)
क्या बात है यह हुआ न कुछ तगड़ा गुंडा विमर्श :)
जवाब देंहटाएंअब सर "गुंडों" के बारे में हैं तो तगड़ा होना ही है !!! :) :) :)
हटाएंडोनेशन मेरी बला से! ऐसी भोकाली तलवार मार के खून निकले हो कमबख्त...और रात के तीन बजे यही सब सूझता है तुम्हें!
जवाब देंहटाएंसोच रही हूँ तुम्हारे दोस्त तुम्हें खिला क्या रहे हैं आजकल...थोड़ा खाने की जांच पड़ताल करनी पड़ेगी...सही न्यूट्रीशन नहीं मिलने के कारण तुम खून पीने को ज्यादा ही उतारू हुए जा रहे हो...प्लीज बैलंस्ड डाईट लिया करो...फल, हरी सब्जियां...दूध...दालें इत्यादि.
इस पूरी पोस्ट से तुम एंटी-फेमिनिस्ट साबित हुए हो...गुंडा शेयर मार्केट में महिला रिजर्वेशन चाहिए. इसपर एक पोस्ट लिखो अब जल्दी!
एक पोस्ट लिखे हैं जो दोनों के लिए है,
हटाएंhttp://agadambagadamswaha.blogspot.com/2012/04/blog-post_18.html
कहो तो एक और लिखें, वैसे ज़हर काफी हो गया है तो शांत हो जाते हैं :) :) :)
भईया अगर अइसने लिखते रहे, तो तुम्हरा ब्लड डोनेशन कैम्प छोड़ के हमहूँ भाग जयिहों किसी दिन... सोच लो.... :) और अमेरिका में ढेर गुंडई करबो न त, हुआं तोंद वाला पुलिस नय नु है.. खूब मारिहें... दौड़ा दौड़ा के मारिहें ... फिर ऐसा दरद होगा, ऐसा दरद होगा ... अब का बताएं कैसा दरद होगा....फिर बईठ के दरद पुराण लिखते रहना... और ओकरा कालजयी कविता से जो दरद उभर के आएगा.... ओह्ह्ह... मत पूछो...
जवाब देंहटाएंऐसे कैसे शेखर भाई, हम तो पकड़ पकड़ के खून निकाल लेंगे, चिंता मति करो :) :) :)
हटाएंयहाँ तो हम एक दम संत बने घूम रहे हैं, ये गुंडई इंडिया आके "रिज़्यूम" होगी :) :)
Well ...काम तो ये भी काफी कॉम्प्लीकेटेड लग रहा है.सही फरमाए आप आसान थोड़े है गुंडा बनना..तो हम तो निकल लिए पतली गली से.
जवाब देंहटाएंहाँ कविता की कालजयीनेस में कोई शक नहीं :):).
कविता है ही कालजयी ( देखिये हम अपनी तारीफ करने में पीछे नहीं हटते :) :) :) )
हटाएंआसान नहीं है पर ट्राई तो किया ही जा सकता है एक बार :) :) :)
Genuinely Unrated Nationality Development Activist...
जवाब देंहटाएंखतरनाक....तगड़ा रिसर्च है भाई...हिला देने वाली पोस्ट है..मस्त!!!
he he he... शुक्रिया अभिषेक भाई !!!
हटाएंकविता में मुस्टंडा भर्ड भी आ जाता तो मज्जा आ जाता.. ;)
जवाब देंहटाएंबड़े मजे ले रहे हो आजकल !!!!
हटाएंलाइफ मजेदार है :) :) :)
very nice bhaiya
जवाब देंहटाएंथैंक यू !!!!
हटाएंJai ho Prabhu!! humare lie waise guda khojna mushkil h... tum jaise Zehreele bloggers ka bhi koi share market bana to mera to saara paisa Prabhu aapke hi charno me h.. bakhsh do be..ab to ek dum heights ho gayin hain ... :-/
जवाब देंहटाएंआइडिया ये भी अच्छा है , ब्लोगर्स का शेयर मार्केट, इसके बारे में और डिटेल एनालिसिस की ज़रूरत है | ये मार्केट अभी तक एक्सप्लोर नहीं हुआ है | आप इनिशिएटिव ले सकती हैं :) :) :)
हटाएंजय हो! जैसे कहा जाता है कि वैष्णो देवी के दर्शन ( या किसी अन्य देवी के भी) आदमी को तभी हो सकते हैं जब देवी दर्शन करने वाले पर मेहरबान होती हैं। यही इस पोस्ट के साथ हुआ। कई दिन देखने के बाद आज इसे पढ़ने का सुयोग बना और अच्छा बना। धन्य हुये। :)
जवाब देंहटाएंये पूजा जी की बात पर थोड़ा ध्यान दे दिया जाये। और ये पीडी अपना जिक्र कविता में चाह रहे हैं तो कर न दिया जाये। :)
आपको पोस्ट अच्छी लगी , ये जानके हमें भी अच्छा लगा | पोस्ट तो आपकी ही पोस्ट से इंस्पायर है | :) :) :)
हटाएंपूजा की बात पे ध्यान देने की कोशिश की गयी है, पीडी से बाद में निपटेंगे ( पोस्ट के बदले पोस्ट , पार्ट -२ में :) :) :) )
:-):-)
जवाब देंहटाएंथैंक्स संतोष जी !!!
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