शनिवार, 4 मई 2013

नंदी हिल्स पर फ़तेह !!!

पहले २४ घंटे तो बढ़िया बीते बेंगलुरू में | शनिवार का दिन था | सुशांत और उनके रूम-मेट्स आज ऑफिस से जल्दी घर आ गए | प्लान था कि अगले दिन सुबह सुबह नंदी हिल्स चला जायेगा | खाना बनाए DSC01042जाने में जो एफर्ट लगता उसे बचाने के लिए पिज्जा आर्डर कर दिया गया | मौका देखकर टीटी के भी दो गेम खेल लिए गए | इस बीच आई-पी-एल के मैच में चेन्नई ने बेंगलुरू को धो दिया | हुड़दंग मची | और फिर माहौल शांत होने लगा | प्लान हुआ कि सुबह २ बजे नंदी हिल्स निकल लिया जायेगा | बाकी सब सोने चले गए | हमें फिर रोज़ की तरह नींद नहीं आ रही थी | सुशांत बाबू भी लैपटॉप पर खिट-पिट करते रहे | ये हुआ कि बाकी लोग सो लेते हैं, हम दोनों जागेंगे |२ बजे एक-एक कर सब जाग गए | रिक्वायरमेंट के हिसाब से किसी ने हाथ मुंह धोया, किसी ने मंजन भी कर डाला | हमने शेव कर डाली | सब लोग तैयार होकर करीब तीन बजे निकल लिए | कुल ५ लोग और ३ बाइक्स |
बेंगलुरू से काफी लोग नंदी हिल्स पर सूर्योदय देखने जाते हैं | ये शहर से लगभग ५० किमी दूर, बेंगलुरू-हैदराबाद नेशनल हाई वे ( NH – 7 ) पर है | इसी रस्ते पर बेंगलुरू इंटरनेशनल एअरपोर्ट भी है | हाई-वे से करीब १५ किमी अंदर जाना होता है | NH-7 पर तो दोनों ओर पहाड़ियां दिखती ही हैं | अंदर के १५ किमी में से ५ किमी का रास्ता पहाड़ी है | शार्प-बेंड और यू-टर्न से भरा हुआ |
DSC01078हमने अपने मोबाइल में पहली बार जी-पी-एस ऑन कर लिया |  घर से निकले तो सबसे पहले पेट्रोल पम्प पर जाकर टंकियां फुल की गयी | ये भी एक टास्क सा हो गया था क्यूंकि ज्यादातर पेट्रोल पम्प बंद थे | मैं और सुशांत एक बाइक पर थे | बाकी दोनों बाइक्स के सवारों ने एअरपोर्ट वाला कट ले लिया जो कि गलत था | हम दोनों ने कट पर ही वेट किया और उन लोगो को फोन करके वापस बुला लिया | कुछ आधे घंटे लग गए | अगला स्टॉप था चाय की दुकान | यहाँ तक बाइक चलाने का काम सुशांत बाबू कर रहे थे | इसके बाद से मोर्चा हमने संभाला | हेड-फोन पर रूट की जानकारी जी-पी-एस से मिलती रही | ८० किमी प्रति घंटे की स्पीड को भी टच किया | NH-7 से करीब चार किमी अंदर पर पहली पुलिस चेक-पोस्ट पड़ी | बहुत भीड़ थी | मसला ये था कि आगे जाना सुबह ६ बजे तक अलाउड नहीं था | पर तब तक सूरज चाचू जाग जाते | दरसल ये टाइम गर्मियों और सर्दियों दोनों में नहीं बदलता | पर गर्मियों में सूर्योदय जल्दी हो जाता है तो लोग जाने के लिए उतावले होते हैं | यहाँ पर “महात्मा गांधी" का रोल आता है | ५० रुपये प्रति बाइक देकर हम आगे बढ़े |
IMG_20130413_064553नंदी हिल्स से ५ किमी पहले एक और चेक-पोस्ट थी | वहाँ पर तो सुविधा-शुल्क भी काम नहीं आया | ६ बजे तक इन्तज़ार करना ही पड़ा | ६ बजने से कुछ पहले पोस्ट खोल दी गयी और सब लोग बहुत तेज़ी से भागे | यहाँ से रास्ता पूरी तरह से पहाड़ी हो गया था | अभी बाइक चलाने कि जिम्मेदारी सुशांत ने एक बार फिर संभाल ली थी | धीरे-धीरे उजाला हो रहा था | ठीक टाइम पर हम लोग गंतव्य तक पहुँच गए | सूर्योदय ठीक से नहीं देख पाए क्यूंकि कोहरा था | पर जब बीच बीच में सूरज निकलता तो दृश्य मनोरम हो जाता | खूब फोटो खिचवाये | हंसी-मजाक भी जम के हुआ |मौसम बहुत बढ़िया था | थोड़ी ठण्ड भी थी | जैकेट रख ले गए थे तो ज्यादा महसूस नहीं हुई |
DSC01030लौटते में हम फिर बाइक में पीछे थे | नींद के झोंके आने लगे जो सेफ बात नहीं थी | रस्ते में एक जगह पर मुंह धोने और चाय पीने के लिये रुके | वहाँ पर बोर्ड लगा था “देवनहल्ली का किला और टीपू सुल्तान का जन्म स्थान” | हमने बाइक उस तरह घुमा ली सोचा कि किला देखते हैं | किले का दरवाज़ा शानदार था | पर अंदर किले जैसा कुछ नहीं | थोड़ी दूर अंदर गए और जब कुछ ना मिला तो वापस आ गए | जन्म स्थान भी नहीं देख पाए | इसके बाद से बेंगलुरू शहर तक एक बार फिर बाइक हमने दौड़ाई | शहर में फिर से सुशांत बाबू ने कमान संभाली क्यूंकि रस्ते उन्हें ज्यादा बढ़िया तरीके से पता हैं |
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घर पहुंचते ही सोने का प्रोग्राम चालू हो गया | ३-४ घंटे की पहली नींद के बाद उठकर मैगी खाई और फिर सोने चले गए | शाम को उठे | दाल-चावल खा कर फिर से सोने की तैयारी हो गयी |
अगले दिन मेरा भी ऑफिस था | जल्दी उठना था |
P.S. :  नंदी हिल्स जाने का प्रोग्राम मिस्टर प्रशांत प्रियदर्शी यानी कि पीडी बाबू का भी था | पर उनको थ्रोट इन्फेक्शन के साथ-साथ फीवर  भी आ गया तो वो नहीं जा पाए | उनसे मिलने का भी प्रोग्राम था नेक्स्ट डे !!!!
-- देवांशु

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपका एक मित्र और ब्लॉगर किला फतह करने से रह गया :-(

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  2. इसीलिये लोग कहते हैं- महात्मा गांधी आज भी हमारे देश के लिये प्रासंगिक हैं।

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  3. महात्मा गाँधी अमर रहें.

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