शुक्रवार, 24 जून 2011

अच्छे गुनाह...


उनका कहना सच साबित हुआ, हम वाकई में बच्चे निकले|
गुनाह तो बेशक किये सभी ने, कुछ के गुनाह भी अच्छे निकले||

मसीहा तुझपे था भरोसा , तू क्यूँ बन गया मूरत|
जब लुटी  आबरू अपनी, तू छुपा बैठा अपनी  सूरत||
जिन सिक्कों को दौलत समझा, वो सिक्के न सच्चे निकले,
गुनाह तो बेशक किये सभी ने, कुछ के गुनाह भी अच्छे निकले||

लो संभालो सल्तनत अपनी, तेरा सिपाही सलामत रहे,
हम तो फसादी  हैं जनम के, तेरी न कोई खिलाफत रहे|
बाती हमेशा जल के मिटी है, हम दिए भी कच्चे निकले,
गुनाह तो बेशक किये सभी ने, कुछ के गुनाह भी अच्छे निकले||

उनका कहना सच साबित हुआ, हम वाकई में बच्चे निकले|
गुनाह तो बेशक किये सभी ने, कुछ के गुनाह भी अच्छे निकले||

                                                          -- देवांशु

1 टिप्पणी: