शहर के कोने में कुछ सीढियां दिखती थी, ऊपर की ओर जाती हुई | और इसी से लगता था जगह कहीं बहुत गहराई में है | कुछ सुराख़ थे वहाँ, जिन से धुंधला सा उजाला आता रहता | उसी से जिंदगी चलती शहर की |
एक छोर पर एक कारखाना था, जहाँ इंसानी जिस्म तैयार किये जाते | जान ठूंस दी जाती उनके अंदर | ठीक उसके आगे एक बड़ा सा कमरा था | उस कमरे में पोथी रखी हुई थी | पोथी से पानी रिसता रहता | स्वाद में कड़वा | पीते ही आँखों की रोशनी कम हो जाती | पर उसे पीना निहायत ज़रूरी | ना पीने पर कमरे के पीछे बने आग के कुंड में फेंक दिया जाता लोगो को | किसी ने कभी पोथी को पलटकर नहीं देखा | सब पानी पीते रहे |
कमरे के ठीक सामने एक मैदान सा था | वहाँ लोग गोल गोल घूमते रहते | सबको कहा जाता की जो गोल न घूमा उसे कोड़े पड़ेंगे | किसी ने कोड़े नहीं खाए कभी, पर कोई भी ऐसा नहीं जो गोल ना घूमा | जिनके हाथ पैर टूटते वो मैदान के कोने में लाये जाते | उन पर औज़ार चलते, अगर वो ठीक हो जाते तो मैदान में वापस भेज दिए जाते, नहीं तो वहीँ पर बनी एक-काल कोठरी में पटक दिया जाता उन्हें |
कोठरी में कोई दानव था शायद, वहाँ से कुछ बाहर नहीं आया कभी, सिवाय चीखों के | पर पोथी वाले कमरे के लाउड स्पीकर हमेशा उन चीखों को दबा दिया करते |
इतनी सी थी उस शहर के हर जीने वाले की ज़िंदगी |
ऐसा माना जाता था कि अगर कोई औरत-मर्द का जोड़ा एक बार उन ऊपर जाती सीढ़ियों को पार कर जाये तो शहर बदल सकता है | एक बार एक जोड़े ने कोशिश भी की, कुछ ही देर में उनके सर लुढकते हुए ज़मीन पर आ गिरे, उन्ही सीढ़ियों से | पोथी वाले कमरे से आवाज़ आयी की सीढ़ी पार करने की कोशिश अधर्म है | एक बुढिया , जिसे खींच के काल-कोठरी में ले जाया जा रहा था, उसने पूरे शहर को उस दिन अभिशाप दिया कि सबका खून काला हो जाये|
पर किसी का खून काला नहीं हुआ | हाँ, बुढिया को सारे शहर के सामने क़त्ल कर दिया गया | उस रात शहर को खाने में सोंचने की ताकत खत्म कर देने वाला अर्क, अमृत बता के पिला दिया गया | शहर को सबसे पवित्र शहर घोषित कर दिया गया | बोला गया यहाँ पैदा होने भर से ज़िंदगी के मतलब पूरे हो जाते हैं |
तबसे किसी ने एक जोड़े के सीढ़ियों उस पार जाने वाली बात भी नहीं की उस शहर में और पोथी से रिसने वाला पानी दिन-ब-दिन और कड़वा होता गया | अब वो जिस्म भी खोखला कर देता है |
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कहते हैं सीढ़ियों के उस पार खुदा रहता है !!!!!
-- देवांशु
बेहतरीन... :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया गायत्री जी!!!
हटाएंशुरू में तो हमने तो सोचा कोई साईंस फिक्शन की दुनिया है यह
जवाब देंहटाएंमगर यह तो अपनी ही दुनिया है जिसे हमने कैसा रौंदा है ..
बेहतरीन लेखन
दरसल इस दुनिया को हमने ही अपने खुद के रहने लायक नहीं छोड़ा है, ज़बरदस्ती के क़ानून, फालतू की रस्में | और जिनमे ज्यादातर का न तो कोई सर ना पैर| बस ढोए चले जा रहे हैं...
हटाएंwow....तुम ऐसा भी लिखते हो...जबरदस्त...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शिखा जी!!!! frustration जो न करा दे !!!
हटाएंबेहतरीन पोस्ट - जीवन के असली बिम्ब इंगित करती हुई, साधुवाद.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीपक जी !!!
हटाएंकल 06/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत जी पोस्ट को शामिल करने के लिए !!!!
हटाएंलगता है गुडगाँव का पानी (अगर आ रहा हो?) अपना असर दिखा रहा है, या बिना बिजली पसीने में लथपथ रात बिताई है ...... अधमुंदी आँखों को गफलत में ऐसे ही सपने आते है ....यहाँ सच्चाई का काकटेल अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही पहचाना आपने, एक तो न लाईट, ना पानी और बोलते हैं हम सबसे पुरानी और बेहतरीन सभ्यता हैं | जो सही करना चाहो तो बोलते हैं दो दिन बहार क्या रह लिए सहनशीलता खत्म हो गयी है, समस्याओं के साथ रहना सीखो !!!! हद्द है :(
हटाएंकहते हैं सीढ़ियों के उस पार खुदा रहता है !!!!!क्या वाकई ऐसा है ?
जवाब देंहटाएंहर कोई यही कहता है, क्या किया जाए, देखा नहीं है न किसी ने !!!बस एक विश्वास है !!!
हटाएंवाह क्या बात है ... गज़ब ...
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
शुक्रिया!!!!
हटाएंतुम तो ऐसे न थे भाई! क्या अगड़म-बगड़म लिख मारा! जय हो!
जवाब देंहटाएंहाँ जी हम ऐसे नहीं थे, वापस लाइन पर ज़ल्दी आ जायेंगे !!!!
हटाएंzabrdast
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!!!!
हटाएंबहुत अलग सा लिखा है ... सोचने पर मजबूर करता हुआ ....
जवाब देंहटाएंसोचना तो पड़ेगा, नहीं तो हम सब एक दिन ऐसे ही किसी शहर में खुद को पाएंगे !!!
हटाएंबहुत खूब...क्या बात है...!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !!!
हटाएंvery nicely written.....
जवाब देंहटाएंanu
Thanks!!!
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