समय : सुबह के ३ बजकर १४ मिनट
मैं अपने घर की छत पर बैठा हूँ | सामने सड़क एकदम साफ़ दिख रही है | कोई चहल पहल नहीं है | एक पुलिस की वैन खड़ी है सड़क के किनारे | कुछ पुलिस वाले कुछ नाप रहे हैं , साथ में खड़ा एक दूसरा पुलिस वाला एक नोटबुक में सब लिखता जा रहा है | सड़क पर गुजरने वाली इक्का-दुक्का गाड़ियां आस पास से गुजर तो रही हैं, पर शायद पुलिस की वजह से रुक नहीं रही हैं |
****
समय : सुबह के कोई २ बजे
मैं अपने घर की छत पर बैठा हूँ | सामने सड़क एकदम साफ़ दिख रही है | शायद कोई मर गया है | एक औरत मरने वाले के सर के पास रो-रो कर बिखरी जा रही है | कुछ लोग उसे संभाले हुए हैं | एक एम्बुलेंस भी खड़ी है पास में , कुछ पुलिस वाले भी | अभी एम्बुलेंस से एक स्ट्रेचर लेकर दो सफ़ेद कपडे पहने लोग निकले हैं, सर पर सफ़ेद टोपी भी है | उन्होंने लाश को उठाकर एम्बुलेंस में डाल दिया है | वो औरत भी एम्बुलेंस में बैठ गयी है | एम्बुलेंस जा रही है|
****
समय : रात के कुछ साढ़े १२ बजे के आस पास
मैं अपने घर की छत पर बैठा हूँ | सामने सड़क एकदम साफ़ दिख रही है | एक लड़का, जिसकी उम्र कुछ २५ से ३० साल के बीच होगी , सड़क पर तड़प रहा है | सर से शायद खून बह रहा है | कराह रहा है | हाथ उठ रहे हैं और गिर जा रहे हैं | सड़क पर और कोई भी नहीं है | मुझे शायद एम्बुलेंस को बुलाना चाहिए | पर….
****
समय : रात के ठीक सवा १२ बजे
मैं अपने घर की छत पर बैठा हूँ | सामने सड़क एकदम साफ़ दिख रही है | एकदम खाली है सड़क | एक बाइक आती सी दिख रही है | आराम से चला रहा है उसे एक लड़का | तभी पीछे से एक तेज़ी से आता हुआ ट्रक उसे टक्कर मार देता है | बाइक मेरे सामने ऊपर हवा में गयी है | लड़के को लेकर नीचे गिरती है | मैं ट्रक का नंबर नोट कर सकता हूँ | पर….
----
.....दरअसल मैं खुद से डर रहा था...और इसी डर ने उस रात मेरी जान ले ली...मैंने खुद को ही खत्म कर लिया...फिर अगले दिन मुझे खुद को खत्म करने के इलज़ाम में ताउम्र तड़पने की कैद-ए-बामुशक्कत सुनायी गयी...तब से ही सब मुझे तड़पता देख रहे हैं पर मैं खुद को जिंदा नहीं पाता…
--देवांशु
ई तो बहुतै गंभीर बात कह दिए हैं !
जवाब देंहटाएं...शायद हममें से बहुतों की यही दशा है.
क्या बवाल है भाई! होते भी हो नहीं भी होते हो। चार ठो लाशें डाल दीं पोस्ट पर। कौन उठायेगा इनको।
जवाब देंहटाएंएक आत्मा की मौत!
जवाब देंहटाएंmarne wala mukt ho gaya ...tumhe umrakaid de kar
जवाब देंहटाएंकल 20/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
ek achhe aadmi ki bechani ko vakt kerti post...dukhad
जवाब देंहटाएंKripaya ye sab likh k Agdam Bagdam Swaha ki garima k sath khilwaad na karein :-/
जवाब देंहटाएंरिवर्स गियर में पोस्ट लिखे हो !
जवाब देंहटाएंअंतरात्मा के कराहने की तड़प ..
जवाब देंहटाएंअंतर्मन की बेचैनी को दिखाता प्रभावशाली लेखन ...
i'm touched.....
जवाब देंहटाएंsensible poetry.
anu
AKSAR AISA HEE HOTA HAI ...HUM APNE BHAY SE NAHIN LAD PAATE AUR USKE HAATHON AJEEVAN MARTE RAHTE HAI TADAP TADAP KAR...PRABHAVI ABHIVYAKTI.
जवाब देंहटाएंwow...tumhari chatt se to sab dikhta hai.
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंwww.nayafanda.blogspot.com