सोमवार, 25 मार्च 2013

पं. पोंगादीन लप्पाचार्य से विस्फोटक बातचीत


कल भारत ने ऑस्ट्रेलिया को जम के धोया |  ४ मैचों की सीरीज ४-० से हरा डाली | जगह जगह विश्लेषक अपनी राय दे रहे हैं | पर तहलका मचाया हुआ है पं. पोंगादीन लप्पाचार्य ने, उन्होंने कहा की इसकी भविष्यवाणी उन्होंने पहले ही कर दी थी | सो हम आज सुबह-सुबह उनका साक्षात्कार करने चले गए | प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश :
मैं : नमस्कार पांडी जी |
पंपोल (पं. पोंगादीन लप्पाचार्य ) : नमस्ते बालक, कैसे हो |

मैं : जी बस बढ़िया, आप सुनाएँ |

पंपोल : बस सब प्रभु की किरपा है , कहो कैसे आना हुआ |

मैं : पांडी जी , बस अभी बाहर सुना की आपने भारत के ४-० से जीतने की भविष्यवाणी की थी, तो सोचा जरा आपसे थोड़ा बातचीत कर ली जाए |

पंपोल : अच्छा किया बालक, बड़ा अच्छा लगता है जब तुम्हारे जैसे युवा, हमारे ज्ञान की कद्र करते हो | वर्ना ज्यादातर तो मजाक उड़ाते हैं | अरे भाई सदियों से चला आ रहा है ये सब , कोई समझता ही नहीं | खैर ये सब किनारे धरो , तुम बताओ का पूछना चाहते हो |

मैं : पहला सवाल तो यही की आपकी भविष्यवाणी के बारे में सीरीज ख़त्म होने के बाद ही पता चला , पहले कुछ सुना नहीं ऐसा ?

पंपोल : भाई ये भी एक तरीका है लड़कों ( क्रिकेट खिलाडियों) से प्रदर्शन कराने का | पहले बोल देते तो लड़के कुछ करते नहीं | लेजी हो जाते | सो हमने कहा बाद में बताएँगे |

मैं : अच्छा , मतलब आपने ऐसा जान-बूझकर किया ?

पंपोल : हाँ , बचपन से ही हम ब्लैकबोर्ड पर चाक फेंकते और जहाँ पर निशान बन जाता उसके चारों ओर गोला खींच देते हैं | जनता को लगता है की हमने गोला बाद में बनाया पर असल बात तो ये है की हम निशाना वहीं मरना चाहते थे | ये गूढ़ बातें हैं , मूढ़ जनता क्या जाने |

मैं : वो तो है पांडी जी |  धोनी के बारे में बताएं कुछ , क्या राज़ है उनकी सफलता का ?

पंपोल : देखो बालक , इन्सान दो तरह से जीतता है , एक जब उसकी कुण्डली में जीत का योग हो , दूसरा विरोधी की कुंडली में हार का |

मैं : पर वो तो पिछले कई साल से जीत रहे हैं , तो क्या ..

पंपोल ( बीच में बात काटते हुए ) : सबकी साढ़े-साती चल रही है , धोनी के अलावा |

मैं : पर ऑस्ट्रेलिया में तो हम ०-४ से हारे थे |

पंपोल : भैया मेरे , ऑस्ट्रेलिया में सब उल्टा है , जब अपने यहाँ कटकटाऊ ठण्ड पड़ती है तो वहां गरमी , इसीलिए वहां सब उल्टा हो जाता है |

मैं : पर हम तो इंग्लैंड में भी हारे , वहां तो सब ठीक रहता है |

पंपोल ( चेहरा लाल करते हुए ) : यही तो तुम लोगो की बात समझ नहीं आती, बहुत जबान लड़ाते हो | बस केवल मजाक बनाना है हमारी विद्या का |

मैं : अरे शांत हो जाइए पांडी जी , ये बताइये क्या धोनी की कप्तानी में अगला विश्वकप हम जीतेंगे ?

पंपोल : ये हम विश्वकप के बाद बताएँगे |

मैं : अरे क्यूँ ?

पंपोल : बोला ना, परफोर्मेंस पर असर पड़ता है , समझते नहीं हो यार तुम |

मैं : पांडी जी , आप तो भड़क गए | अच्छा सर जडेजा के परफोर्मेंस के बारे में भी सुना आपने भविष्यवाणी की थी | उसका क्या राज है |

पंपोल : दरसल उसकी कुण्डली के किसी भी घर में कोई गृह नहीं है , इसलिए उसके बारे में समझ पाना बहुत मुश्किल है और यही उसकी सफलता का राज़ है | वो इसीलिए सफल है की उसके बारे में कोई कुछ समझ नहीं पाता |

मैं : ह्म्म्म, अच्छा सचिन के बारे में बताइए , उन्हें कब तक खेलना चाहिए |

पंपोल : उसकी कुण्डली में सारे योग हैं, पर रिटायर्मेंट का योग नहीं है |

मैं : पर फिर भी , कभी तो रिटायरमेंट लेना होगा |

पंपोल : मुझे पता तो है की वो कब लेंगे रिटायरमेंट, पर मेरे बयान से उनके आखिरी मैच में सिक्यूरिटी की समस्या खड़ी हो जायेगी , इसलिए सरकार ने हमें चुप रहने के लिए बोला है |

मैं :  तो आप सरकार में भी दखल रखते हैं?

पंपोल : और नहीं तो क्या, हमारी सलाह के बिना तो नेता लोग सदन में नहीं जाते, प्रधानमंत्री भी !!

मैं : हमें नहीं लगता ऐसे पढ़े लिखे प्रधानमंत्री ऐसी बातें मानते होंगे |

पंपोल : अरे भूल गए , उन्ही ने तो कहा था की उनकी मौत के लिए विपक्ष ने यज्ञ कराया था | ये इन्फोर्मेशन भी हम ही ने दी थी |

मैं : आप तो काफी पावरफुल आदमी लगते हैं | आप सबका भविष्य जानते हैं | तो अपना भी जानते होंगे ?

पंपोल : हाँ बिलकुल |

मैं : तब तो आप बीमार भी नहीं पड़ते होंगे |

पंपोल ( मुस्कियाते हुए) : मालूम था की तुम्हारे मन में ये शंका आएगी | देखो बालक , राम , कृष्ण ये सब भगवान् के अवतार थे पर इन्होने कभी किसी को आइडिया नहीं लगने दिया के आगे क्या होने वाला है | इसैई लिए हम भी सब नार्मल चलने देते हैं |

मैं : तो बीमार पड़ते हैं  लेकिन  आप इलाज भी नहीं करवाते होंगे ? आपको तो पता ही होगा की आप ठीक हो जायेंगे ?

पंपोल : नहीं , कराते हैं | डाक्टर लोग दवाई देते हैं | लोग सब दवाई की एक्सपायरी देखते हैं , हम  मैनूफैक्चरिंग डेट देखकर उसकी कुण्डली बनाते हैं और फिर देखते हैं की हमें फायदा करेगी या नहीं |

मैं : तो आप बिना एक्सपायरी देखे दवाई खाते हैं ?

पंपोल :  यहीं तो हमारी विद्या और तुम्हारे विज्ञान में अंतर है , हमें अपनी एक्सपायरी डेट पता है |

मैं : धन्य हैं आप तो |

पंपोल : हाँ वो तो हैं |

मैं : एक बार फिर क्रिकेट पर आते हैं , फ्लेचर कब तक रहेंगे अपने कोच ?

पंपोल : कौन ??

मैं : डंकन फ्लेचर |

पंपोल : मैंने उनके बारे में नहीं सुना | इन्फोर्मेशन है कुछ उसके बारे में , जैसे कब और कहाँ पैदा हुए ?
मैंने अपने फोन से क्रिकइन्फो से फ्लेचर साहब का डाटा उन्हें थमाया | उन्होंने एक कागज पर कुछ चौखाने खिंचे |

पंपोल : कब से हैं कोच ये ?

मैं : काफी टाइम हो गया , जाने वाले थे , एक्सटेंशन मिल गया |

पंपोल ( कागज पर घूरते हुए ) : जड़ता का योग है | जहाँ जाएगा कुण्डली मार कर बैठ जायेगा , हिलाए ना हिलेगा | पर मुस्कुराते हुए बोले पर जहाँ रहेगा फल अच्छे देगा |

मैं : पर पहले तो ये इंग्लैंड के कोच थे , जब तक रहे बुरी तरह हारी इंग्लैंड |
पंपोल बगलें झांकने लगे | उँगलियों पर कुछ गिने | २-३ किताबें निकाल के  कुछ पढ़े | और बोले :
“इनका टाइम अब शुरू हुआ है, अब अच्छे रिजल्ट आयेंगे”

मैं : मतलब हम साउथ अफ्रीका में जीतेंगे ?

पंपोल ( मुस्कुराते हुए ) : ये तो मैं …

मैं : “साउथ अफ्रीका सीरीज के बाद बताऊंगा” | 

पंपोल भड़क गए मेरे ऊपर | बोले की मेरा दिमाग खराब हो गया है | और मैं उनकी विद्या का मजाक उड़ा रहा हूँ | और मेरी जन्मतिथि और जगह मांग बैठे | मैंने भी उनको डाटा दे डाला | फिर उन्होंने कागज़ में कुछ खींचा और बोले :
“कुण्डली देख के कोई भी कह दे की करेक्टरलेस हो तुम,  ये जो दो गृह एक ही घर में हैं ना , तुम्हे छिछोरा बता रहे हैं | हज़ार तो तुम्हारे लफड़े रहेंगे | एक लड़की पर टिक नहीं पाओगे”

मैं : अरे पांडी जी, क्या बता रहे हो, मेरा तो कभी कोई लफड़ा नहीं रहा |

पंपोल : अब होगा ना छिछोरे |

मैं समझ गया | मैंने २ पांच सौ के निकाल कर उनके चरण कमलों में रखे | और बोला की फिर से देखें |

पंपोल : जो बात बोली वो तो ठीक है | पर इसमे से जो एक गृह है वो  काट कर रहा है , फेमस हो जाओगे , अच्छा है सब |

मैं : अच्छा शादी कब होगी पांडी जी मेरी ?

पंपोल : ये हम ..

मैं : “…तुम्हारी शादी के बाद बताएँगे”

और इससे पहले की वो अपने वज़न के चलते उठकर हमें दौड़ा पाते | हम वहां से खिसक लिए और जाते जाते एक ५०० का पत्ता भी उठा लिए और चिल्लाकर बोले :

“कीप द चेंज प्लीज़”

--देवांशु
(चित्र गूगल इमेज से)

12 टिप्‍पणियां:

  1. यहाँ भी सुबह शाम रेडियो के हिंदी चैनल में इनकी महानताएं सुनती रहती हूँ. अपनी कुंडली यहाँ भेज दो फोरेंन रिटर्न का ठप्पा भी लग जाएगा और शायद करेक्टर भी सुधर जाए:):)
    जबरदस्त लिखा है.व्यंग में भी माहिर हो गए हो. मजा आ गया पढ़कर.

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  2. क्या भाई ये पोस्ट लिखते ही तुम पर आरोप लगने शुरु हो गये! एक तरफ़ पंडितजी बोले-करेक्टरलेस हो तुम दूसरा तुम्हारे ऊपर आरोप लगा कि तुम व्यंग्य में भी माहिर हो गये हो!

    चरित्र की तो खैर कोई बात नहीं वो तुम निपटना लेकिन व्यंग्य में भी माहिर हो गये हो तो इस आरोप का मतलब क्या है? क्या पहले व्यंग्य में माहिर नहीं थे? अगर नहीं थे तो किस चीज में माहिर थे? किसी में थे भी क्या? ये बातें साफ़ कर लो समय रहते वर्ना रिकार्ड गड़बड़ा जायेगा।

    और बच्चा एक बात समझ लो कि ये पंडितों के ज्यादा मजाक मत उड़ाया करो। अभी पंडित की शरण में जाना है शादी-व्याह के लिये। कहीं पंडितजी गुस्सा गये तो समझ सकते हो कि क्या हो सकता है। :)

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  3. और हां पंडितजी के पैसे वापस कर दो। वरना जो हाल होगा वो कुंडली देखने के बादै पता चलेगा! :)

    बाकी चकाचक है!

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  4. Logo ki Zindagi in jaise Pandito ki kaaran hi kharab ho rahi hain.Aadmi ke janm aur mrtiyu per uska koi role nahi hota.Ye kundali wale ye kyo nahi samjhte.Aur Karma bhi koi chiz hoti hain ki nahi.
    Kundali kharab hain to Ismain kisi ka kya dosh.

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  5. Bahut accha likha hai ... Padhke maza agaya ... Par main soch raha hu ki sab KUNDLI ka hi khel hota hai kya ???

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  6. कहना पड गया पाला बेचारे का :-)

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  7. गद्य धारा के साथ काव्य धारा (हम-तुम) में भी कुछ टाइप करें तो मेहरबानी होगी

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  8. “कुण्डली देख के कोई भी कह दे की करेक्टरलेस हो तुम, ये जो दो गृह एक ही घर में हैं ना , तुम्हे छिछोरा बता रहे हैं | हज़ार तो तुम्हारे लफड़े रहेंगे | एक लड़की पर टिक नहीं पाओगे”


    bette je harkatein!!!!

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