बुधवार, 4 अप्रैल 2012

पोस्ट के बदले पोस्ट!!!


कुछ दिनों पहले प्रशांत बाबू, हाँ हाँ वही जिन्हें पीडी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने हमसे मौज ले ली | केवल हमसे क्या, पंकज और रवि बाबू को भी नहीं छोड़ा | और हम तीनो से नहीं भर पाए तो हमारे घर को भी खींच लाये |  इन्हें लगा कि पंकज बाबू तो “वर्चुअल" दुनिया से गायब है, और हम लोगो का खून पीने में “बिजी" हैं तो ये बच जायेंगे | (रवि बाबू की शादी होने वाली है)

पर ना | हमारी बेज्जती तो अक्सर होती रहती है, उसकी हमें परवाह नहीं, पहले भी बताया है हमने | कोई पंकज की या रवि की  बेज्जती करे ये भी एक बार को हम “देख कर अनसुना” कर दें,  पर हमारे घर की बेज्जती, कत्तई बर्दाश्त नहीं, ना ना | (और ये चाय को भी लपेट ले गए Smile देखो तो)

इसलिए जनता की आँखें खोलने के लिए हम कई दिनों से सोच रहे थे इनको जवाब लिखने का | पर टाइम नहीं मिला (आलस काफ़ी टाइम खा जाता है) | एक बार हम इनको धमकाए भी कि बेट्टा तुमको इसका जवाब मिलेगा , पर ये एक स्माइली चिपका के चलते बने|

वैसे प्रशांत बाबू, हमारी तरह ही दूसरों की वाल पे कचरा करने के लिए भी जाने जाते हैं , अभिषेक बाबू तो इतने परेशान रहे कि एक पोस्ट लिख मारी उन्होंने |

खैर,  कोई नहीं अब हम सच बता डालते हैं :

सुनो कल मेरा एक दोस्त आने वाला है, ब्लॉगर है !!!!

हमारे घर में दो फ्लोर थे, बेसमेंट और ग्राउंड |  ग्राउंड फ्लोर खाने, पीने और टीवी देखने के लिए प्रयोग होता था | बेसमेंट फ्लोर में सोया जाता था, पार्टी करने के लिए भी जगह थी वहाँ |

अगले दिन हम एक इंटरव्यू देने की फिराक में थे, शाम की चाय पी रहे थे |P03-04-12_17.53[1] पंकज ने घर में घुसते-घुसते एलान किया “कल मेरा एक दोस्त आ रहा है, ब्लॉग लिखता है | ब्लॉगर है |”
उस टाइम तक हम केवल ब्लॉग पढ़ते थे, लिखने का चस्का नहीं लगा था | सारे ब्लॉगर सीरियस लगते थे | हम थोड़ा घबराए, थोड़ा डरे, हल्का सा सहम भी गए |

सुबह उठे और भाग लिए इंटरव्यू देने, इंटरव्यू ठीक हुआ | याद आया चाय तो पिए ही नहीं सुबह से | पंकज को फोनिआये | वो बोले “पराठे खाने सेक्टर ४० की मार्केट जा रहे हैं, वहीं आ जाओ डायरेक्ट, प्रशांत भी आ गया है” | हम कहे “कौन प्रशांत" तो बोले कि वही जो आने वाला था “मेरा ब्लॉगर दोस्त" |  मार्केट पहुंचे | वहाँ पर पी एंड पी (पंकज एंड प्रशांत) पी फॉर पराठे सूतने के बाद हाथ धो रहे थे | हमने कहा “यार चाय पीते हैं" |

हम (मैं और पंकज) जिस शहर के हैं, वहाँ हर कोई कविता ज़रूर लिखता है(अकेले में) और चाय ज़रूर पीता है | पंकज बाबू चाय के लिए मना नहीं करते | उन्होंने हाँ कर दी | प्रशांत बाबू सूखा मना कर गए |हम दोनों ने चाय खींची , थोड़ी बातचीत हुई इस दौरान | फिर पी एंड पी घूमने निकल गए और हम अपनी सुबह की बची नींद पूरी करने घर की ओर लपके | घर पहुंचे तो रवि बाबू के दर्शन हुए | वीकेंड में वो या तो सोते थे या एक्सरसाइज़ करते थे, नहीं तो मूवी देखते थे |

पहुंचे तो वो “जस्ट जागे" थे, ठण्ड का माहौल था हम तो रजाई ओढ़ के बैठ गए और रवि बाबू लग लिए एक्सरसाइज़ में | थोड़ी देर बाद “पी एंड पी” भी आ गए |

यहाँ गलती की सजा “मौज” है !!!

"छींकते ही नाक काटने" के सिद्धांत के माफिक हमारे घर का उसूल था कि “गलती की सजा मौज" | आप गलती किये नहीं कि आपसे मौज ले ली जायेगी | प्रशांत बाबू नए थे, जानते नहीं थे | एक्सरसाइज़ को लेकर दो चार बातें बोले , तुरंत उनकी मौज ली गयी | ( पहले वो जान भी नहीं पाए , जब जाने तो उन्होंने हम सबसे मौज ले ली)

थोड़ी देर में पवन साहब आ गए , पवन साहब हमारे साथ ही प्रोजेक्ट में रह चुके हैं और पंकज बाबू के कॉलेज फ्रेंड हैं | मेहमान का स्वागत चाय से किया जाना चाहिए | हम चाय के बारे में पूंछ बैठे, प्रशांत ने फिर हमें घूर के देखा |

कप का हैंडल नहीं टूटा था!!!

दरसल यहाँ पर प्रशांत की पोस्ट में “टेक्नीकल" मिश्टेक  है | हम आई-मिंट से ४ ठो कप का सेट मंगाए | बड़े लवली टाइप कप थे | सुबह शाम अपने हाथो से सफाई करते | एक दिन ज्यादा चमकाने के चक्कर में एक कप की तली टूट गयी | और अब चूंकि घर में तीन लोग थे तो चौथे को पीछे रख दिया , सुन्दर था तो फेंका नहीं | पंकज बाबू को आइडिया नहीं था, उन्होंने वही कप उठाया | चाय छानने लगे | कप ने समुन्दर का रूप ले लिया, कितनी भी चाय डालो भर ही नहीं रहा | बाद में समझ आया कि चाय की नदी बह गयी | (बताओ कभी दूध की  नदी बहती थी , अब चाय की नदी बहती है ) |पंकज ने गलती तो की थी, उनकी मौज भी ली गयी| अब तक प्रशांत बाबू भी एडजस्ट हो ही गए थे |

मुझे कल निकलना है !!!

ये कहते कहते, पीपीपी (अरे बाबा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नहीं, पंकज, प्रशांत और पवन ) घूमने निकल गए | हम फिर सोने के लिए सटक लिए | देर रात घूम के आये तो प्रशांत बाबू लपक लिए सोने और पीडीपी (मतलब पंकज, देवांशु और प्रशांत, समझे) चल दिए सनीमा देखने “लैपटॉप" पे | “ना घर के ना घाट के"“ और “वन टू थ्री" दोनों मूवी देखी गयी| सुबह का ४ बज गया था |  सुबह ४ बजे चाय पीने का अपना अलग ही मजा है | वैसे भी मुझे सोने से पहले चाय पीने की आदत है | हमने चाय का ऑफर दिया जो २-१ से ध्वनि मत से पारित हो गया | रवि बाबू भी सो गए थे तो ध्वनि को कम रखा गया | मन में आया तो पंकज को बोल दिए “प्रशांत से भी पूंछ लो"| पवन को लगा मामला २-२ से टाई हो जायेगा,क्यूंकि प्रशांत तो ना बोलेगा | चाय नहीं पीनी पड़ेगी शायद | पर हम तब रवि को जगा लेते | रवि बाबू चाय ना बनाने की शर्त पर राजी हो ही जाते !!!! Winking smile

चाय क्यूँ पीनी चाहिए !!!!

अच्छा तो ये सब तो बात थी  उस वृतांत की ,जो पीडी ने अपने एंगल से बताया और  हमने अपने एंगल से | अब हम पीडी की पोस्ट का जवाब देंगे|

कहते हैं चाय की खोज एक सरफिरे ने की जिसे शाम को अक्सर नींद आती थी, एक शाम उसने कुछ पेड़ की पत्तियां चबा डाली, उसे नींद नहीं आयी | उसी दिन चाय की खोज हो गयी | (ये कहानी फर्जी भी हो सकती है ) | आवश्यकता ही आविष्कार की मम्मी है |

हाँ तो पीडी चाय नहीं पीते | चाय पीना बहुत ज़रूरी है | चाय पे ही अक्सर शादी की बातें हो जाती हैं | वो गाना तो याद ही होगा, “शायद मेरी शादी का खयाल….” | और वो गाना “एक गरम चाय की प्याली हो” | देखिये श्रंगार रस का इससे बेहतर और कर्णप्रिय उदाहरण कहीं और मिलेगा, नहीं मिलेगा | पर पीडी तो पीडी हैं, चाय नहीं पीते | वैसे काफी लोग चाय नहीं पीते,कॉफी पीते हैं | it’s too middle class you know Smile | चाय की दुकान होती है, कॉफी की शॉप होती है |

पीडी काफी देशभक्त है !!!!

भारत काफी ज्यादा चाय का निर्यात करता है | और पीडी जैसे लोग चाय ना पीके चाय उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं | देशभक्ति का जज्बा हो तो ऐसा हो | पीडी तुम आगे बढ़ो , हम तुम्हारे साथ हैं !!!!वो बात अलग है हम चाय पीते हुए तुम्हारे साथ हैं Smile

पर घर के बारे में नहीं बोलना था ना !!!!

पर यार पीडी, तुमने हमारे घर की भी काफी बेज्जती कर दी |  माना की घर में इंटर करने के दरवाजे के ठीक बाद जीना है और अगर ध्यान से ना देखो तो गिर भी पड़ो | तो क्या हुआ वहाँ एक बल्ब भी तो लगवाया हुआ है , ये बात अलग है बल्ब का स्विच जीने की पहली सीढ़ी पर खड़े होने से ही मिलता है | पर है तो बल्ब, बस हुआ इतना है कि जब पिछली बार वो फ्यूज हुआ तो हमने नहीं बदलवाया | ये भी ठीक है क्यूंकि रात में वैसे भी गुडगाँव में बत्ती गुल रहती है |

और कोई मामूली घर तो है नहीं, दो दो ब्लॉगर, ध्यान दीजियेगा, दो-दो ब्लॉगर , वहाँ एक साथ रहते थे | ऐसा घर कोई मामूली घर नहीं हो सकता, बड़ी मेहनत का काम है घर के लिए भी, दो -दो ब्लागरों को झेलना  | और तीसरा रहने वाला अन्ना सपोर्टर | वो भी तगड़ा वाला | तुम्हें घर के बारे में नहीं बोलना चाहिए था  पीडी  |

और तुमने चोरों के साथ सिम्पैथी दिखा दी !!!!

जो बात मुझे ज्यादा खराब लगी वो ये कि तुमने बोला कि वहाँ अगर कोई चोर भी जाये और उसे चोट लगे तो  बाकी खर्चे के साथ मानसिक पीड़ा का हर्जाना भी मिले | 

पहली बात तो उस घर में चोर आ ही नहीं सकते | दरवाज़ा ऐसा है कि घर में रहने वाले मुश्किल से घुसे तो चोर कहाँ से आयेंगे | और फिर चोरी करने का टाइम भी तो होना चाहिए कुछ | ४ बजे तक पंकज नहीं सोते (थे), कभी ब्लोगियाते (थे), कभी गपियाते (थे), कभी माहौल में शांति देखकर पोड-कॉस्टियाते (थे) |  और मेरे कमरे में तो “डीके बोस" रात के २ बजे भी उतनी स्पीड में भागते रहते थे |  हाँ एक तीसरा था वो चैन से सोता था | पर रिस्क उसके साथ भी था, अन्ना सपोर्टर है रात में सपने में कोई ज्यादती देख ली , वहीं अनशन पर बैठा मिला | चोर गिरने से नहीं दिल के दौरे से मर जाए | चोर भी बिना बैक-ग्राउंड वेरिफिकेशन किये नहीं आते आजकल !!!!

तुमने हमारी आवाज़ भी रिकार्ड की थी !!!!

पीडी भाई दुबारा भी आये गुडगाँव, इस बार हमने शाम की महफ़िल जमाई, तब तक हम भी ब्लोगिंग में घुस गए थे | मिल बैठे तीनों पीडीपी , दुनिया-जहान की बातें हुई, बहुत कुछ जाना-समझा  गया | मौका देख के मौज ली जाती रही | पर पीडी तुमने अपने फोन का रिकार्डर ऑन कर दिया था | तब तुम बोले थे कि इसपे एक पोस्ट लिखोगे, कहीं तुम उसपे पोस्ट तो नहीं लिख मारोगे अब |  वैसे बोला पंकज ने भी था वो भी लिखेंगे , पर वो तो सन्यास ले लिए हैं आजकल!!!

देवांशु निगम “चाय वाले"

P02-04-12_22.17हम जब ब्लोगिंग कि दुनिया में कूदे तो अपना नाम रख लिया “आढ़ी टेढ़ी सी जिंदगी" | सोचा लोग बहुत भाव देंगे, लगेगा कोई चोटी का लेखक/कवि है | बुरी तरह से आइडिया फ्लॉप हुआ और औकात पे आ गये | नाम बदल लिए । पीडी की पोस्ट पढ़ने के बाद लगा क्यूँ ना अपने  नाम में “चाय वाले ” भी जोड़  लिया जाये | हमारे घर में कोई मसाला हो ना हो, चाय मसाला ज़रूर होता है |
हमें तो नाम बड़ा शानदार लगा भी है , आपको कैसा लगा??
--देवांशु निगम “चाय वाले"
(प्रशांत प्रियदर्शी एक बहुत अच्छे इंसान हैं )

19 टिप्‍पणियां:

  1. पेट दुख गया हँसते-हँसते रे बाबू.. :D

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    1. अब बताओ, चाय पियोगे ??? या लिखें कुछ और ज़हरीला!!!!

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  2. An eye for an eye makes the whole world blind.
    ये जो तुम लोग ब्लॉग पर माफियागिरी टाइप भाय्लेंस कर रहे हो...उससे कित्ता जहर फ़ैल रहा है कोई सोचा है...इस तरह पोस्ट के जवाब में पोस्ट लिखने में तुम जहरीले लोगों का तो कुछ जाता है नहीं...जान तो हम बेचारे पाठकों की जाती है. मगर मत भूलो की तुम हमारा खून पी रहे हो...एक दिन अपने ही जहर से मारे जाओगे!!

    खतरनाक किस्म की पोस्ट...एकदम डेंजर जोन में...हमको तो लगता है इस पोस्ट को पढ़कर पंकज बाबू भी अवतरित हो जायेंगे...इस पोस्ट की महिमा अपरम्पार है.

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    1. अगर पंकज बाबू आ गए मार्केट में तो पीडी का क्या होगा, हमको तो लगता है इसीलिए पीडी उन्हें चुप रहने के लिए बोला है !!!!
      ज़हर तो चारों ओर फैला है, हम लोग तो उसे बस एक जगह पे इकठ्ठा करने का काम कर रहे हैं !!!!

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  3. “शायद मेरी शादी का खयाल….” , “एक गरम चाय की प्याली हो”

    हम्म…..
    पूरी चाय गाथा में ये पंक्तियाँ ख़ास है, चाय पर शादी ब्याह के गानों के अलावा और गाने याद नहीं आये !

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    1. “एक गरम चाय की प्याली हो” के बाद और कोई गाने कहाँ याद आते हैं :) :) :)

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  4. बाप रे आज बस बच ही गए वर्ना ये पोस्ट पागल खाने पहुंचा ही देती .बस में बैठकर फोन पर ही पढ़ डाली और हंसी पर कंट्रोल करने के लिए कई ब्रेक लेने पड़े.इस चक्कर में कई घूरती निगाहों का भाजन बनना पड़ा.हद्द है ऐसा भी लिखता है क्या.
    अपना, पंकज का, अभिषेक का सबका हिसाब एक बार में चुकता.और पढ़ने वाले का पेट दर्द.

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    1. :) :) :)
      पहले तो थैंक यू है जी!!!पोस्ट का बदला पोस्ट वैसे ही घूरने का बदला भी घूर के दे देतीं :) :) :)
      फिर घूरना बंद हो जाता :) :)
      वैसे बताइए, हँसने वाले को भी लोग घूरते हैं :)

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  5. कातिल पोस्ट लगाएं है भाई आप :P
    हँसते हँसते हालत खराब है..ई तो मेरे वाले पोस्ट से भी भयानक निकला :P

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    1. बेटा.. खूब हंस रहा है.. कहते हैं की जो पहले हँसता है वो बाद में रोता है.. तैयार रहो..

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  6. चाय की दुकान होती है, कॉफी की शॉप होती है | ye sahi tha babu...

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  7. वो कहते हैं न कमरा, "कमरा क क्राकरी च- स्वर्गादपि गरीयसी"
    कमरे और कमरे की क्राकरी के सम्मान की रक्षा में लिखी यह शौर्यपूर्ण पोस्ट चिरकाल तक तुम्हारी वीरगाथा का बखान करती रहेगी।

    संयोग से आज पंकज बाबू का जन्मदिन भी है। कह सकते हो कि पंकज के लिये जन्मदिन तुम्हारा जन्मदिन का उपहार है। अमूल्य उपहार।

    जय हो!

    अब मोबबत्ती पीडी बाबू के सामने रख दी गयी। फ़र्मायें मुलाहिजा। :)

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