“हाँ, तो क्या नाम बताया तुमने अपना”
“सर, समीर”
“लेखक हो ?”
“नहीं सर, बैंकर”
“तो कहानी लिखने की क्यूँ सूझी तुम्हें ?”
“बस सर लगा कि ये कहानी दुनिया को पता चलनी चाहिए"
“भाई , पहले तो इस कुर्सी पर बैठने वाला हर दूसरा-तीसरा आदमी बोलता है कि वो लेखक नहीं है, दूसरे सबकी कहानी वही घिसी-पिटी एक ही ढर्रे पर चलती होती है, कुछ तड़क-भड़क होनी चाहिए , है तुम्हारी कहानी में ?”
“सर तड़क-भड़क, मतलब ?”
“कुछ वैसे सीन हैं”
“नहीं सर, प्रेम कहानी है”
“तो प्रेम कहानी में वैसे सीन नहीं होते ?”
“ऐसा कुछ हुआ ही नहीं"
“ओह्ह, खैर कोई नहीं, लड़का भी वैसी फ़िल्में नहीं देखता क्या ? उसी का कोई सीन लिख डालो”
“नहीं सर”
“तो कुछ समाज से बगावत है क्या, जैसे माँ-बाप नहीं मान रहे ऐसा कुछ”
“सर कुछ-कुछ वैसा ही"
“आ गया ना वही ढर्रा, भाई मेरे, ३६५ कहानी आती हैं ऐसी”
“सर ये शायद थोड़ी अलग हो , आप पढ़ के तो देख लीजिए एक बार"
“फटाफट सुना डाल"
“लड़का-लड़की एक दूसरे से प्यार करते हैं, लड़के के घर वाले इस शादी के खिलाफ है, क्यूंकि लड़का पढ़ा-लिखा है, मोटी रकम कमाता है और"
“और??”
“और लड़की अंधी है , लेकिन आखिर में वो शादी करते हैं”
“मेलोड्रामा, भाई माफ करो, ऐसी बहुत सी बातें छप चुकी हैं, जनता बोर हो गयी है"
“सर पर ये बाते गयीं तो नहीं ना हमारे यहाँ से"
“तो तुम्हें लगता है कि तुम ये कहानी लिखकर इन बातों को यहाँ से हटा दोगे, कैसे ?? क्रांतिकारी हो क्या?”
“सर शायद किसी को इससे कोई रास्ता दिख जाये"
“भाई कोई फ़ोकट में भी ऐसी कहानी नहीं खरीदेगा"
“पर सर वो जो सरकार से आपको वृद्ध एवं विकलांग वर्ष के लिए किताबें छापने के लिए ग्रांट मिली है, मैं उसमे से इसे छापना चाहता हूँ”
“अबे पागल हो क्या, वो समाज में अच्छे सन्देश देने के लिए किताबें छापने के लिए मिली है, ये वाहियात प्रेम कहानी समाज सुधारेगी, बेटा उसमे कुछ छापना है तो देशभक्ति टाइप का कुछ लिखकर लाओ, कि कैसे एक लंगड़े ने एक पहाड़ पार कर के दुश्मन के बंकर में बम डाल दिया, इस टाइप का कुछ जोश आये जिससे, समझे ”
“सर पर प्रेम भी तो समाज को सुधारने का तरीका है, हम इस तरह के लोगों से सिर्फ देशभक्ति या ऐसा कुछ और, ही क्यूँ चाहते हैं, इनको हमारी तरह रहने-जीने दिया जाए , ये काफी नहीं है क्या ?”
“अरे यार , तुम तो कतई गले पड़ गए, कह दिया ये नहीं छाप सकते हम, अब जाओ"
“क्यूँ?”
“सुनो, और चाहे बाहर जाकर सबको बता देना, ग्रांट मनी का तीस परसेंट एडवांस सुविधा शुल्क लेकर ये ग्रांट झींट पाए हैं , मंत्री जी की भतीजी ने पहले से कहानी भी लिख दी है , वही छपेगी , समझे | और अगर तुम कुछ और छापना चाहते हो तो तड़क भड़क लेकर आओ , समझ गए”
“तो मतलब आप मेरा लिखा नहीं छपेंगे"
“नहीं"
“फिर आप ही बता दीजिए की क्या छापेंगे?”
“एक लेखक को पहले पाठक बनना पड़ता है, और लोगो को पढ़ो, देखो क्या बिक रहा है , वैसा ही कुछ लिखो, तब आना हमारे पास | और ये ग्रांट के चक्कर में मत पड़ जाओ | बैंक की नौकरी करो , खुश रहो"
“ठीक है सर, चलता हूँ”
“चलो, ध्यान रखना, हमारी बात मानोगे तो बहुत आगे जाओगे”
“जी"
वो जाने लगता है | तभी रोककर पीछे से महोदय सवाल पूछ लेते हैं |
“वैसे ये बताओ, ये अंधी लड़की और नोर्मल लड़के की कहानी तुम्हें सूझी कहाँ से?”
लड़का पीछे घूमता है | एक हल्की सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती है:
“वो क्या है ना सर,उस लड़की की आँखें बहुत खूबसूरत हैं और उन्हें मैं हर रोज़ देखता हूँ !!!!!”
--देवांशु
लड़की की आंखे खूबसूरत हैं लेकिन वह लड़के को देखती नहीं तो क्या लड़की को अंधा बता दिया जायेगा?
जवाब देंहटाएंक्या गजब प्रेम कहानी है।
तालियाँ मालिक। कलमकार वाले कोई कहानी प्रतियोगिता करवा रहे हैं... भिजवा दो।
जवाब देंहटाएंये छप जायेगी
जवाब देंहटाएंजय हो, इसे ग्रांट की आवश्यकता नहीं...ग्रांट तो वैशाखियों के समान है..
जवाब देंहटाएंVery good story hair bhaisaheb.
जवाब देंहटाएंatisundar baat kahi aapne
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अमर क्रांतिकारी स्व॰ श्री बटुकेश्वर दत्त जी की 48 वीं पुण्य तिथि पर विशेष - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंये तो जरूर छपेगी. लड़की को अँधा न भी किया होता तब भी छप जाती :)
जवाब देंहटाएंवो क्या है न कि लडकी की आंखें बहुत खूबसूरत है और मै उसे हर रोज देखता हूँ । मान
जवाब देंहटाएंगये लेखक भैया ।
आज 22/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Jai ho... ab to blog kaa naam badal do ... tum to seriously writer ban gaye
जवाब देंहटाएंबढ़िया :)
जवाब देंहटाएंवैसे आँखें ... अक्ल का प्रतीक हो तो कहानी न छ्पेगी ::))
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति है
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
jabardast hai...
जवाब देंहटाएंbas last k chand lines sari duniyadari samjha gai.. Pyari kahani or intresting blog
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