आज सुबह हम अपने एक बहुत घनिष्ठ मित्र से “चैटिया” रहे थे, घनिष्ठ बोले तो एकदम "घणे"।
मैं : "कैसे हैं महाराज?"
वो : "एक दम दनादन"
मैं : "वाह ये तो बढ़िया स्टेट है?"
वो : "हाँ!!!"
मैं : "तो आजकल किस कन्या के पीछे पड़े हो?"
वो : "यार है एक, सोच रहा हूँ फेसबुक पे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज दूं"
मैं : "हम तो पहले से ही ताड़ गए थे बेट्टा , कुछ गड़बड़ है, काहे की तुम जैसा इन्सान जो इनविजिबल रहता है ,आज हरी बत्ती जलाये, विडियो चैट ओन किये बैठा है "
वो : "अमा तुम तो यार, खैर जाओ अब हमें कन्या को टार्गेट करने दो"
हम समझ गए कि हमने सही ताड़ा , हम अब "ताड़नहार" हो गए हैं ।तभी हमें एक धाँसू ख़याल आ गया "प्यार का पहला और आखिरी कदम फेसबुक है" । तड़ से डाल दिए फेसबुक पे । पटापट लोगो ने लाइक किया । हम समझ गए लोग काफी "अनुभवी" हैं इन सब मामलों में"।
हमने आगे अपने दोस्त से पूछा की हमारी होने वाली भाभी जी का प्रोफाइल लिंक भेजो , हमारा भी अप्रूवल ज़रूरी है । उन्होंने भेज भी दिया। हमने प्रोफाइल देखी तो प्रोफाइल फोटो से कुछ क्लियर नहीं हो रहा था और कवर फोटो में 5 लड़कियां थीं (दो तो हमें भी पसंद आ गयी, मन किया हम ही फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज डालें, फिर दोस्ती की हिप्पोक्रेटिक ओथ याद आ गयी , इसलिए रुक गए )।
हमने कई बार नोट किया है की लड़कियां अपनी प्रोफाइल या कवर फोटो अकेले वाली नहीं लगाती हैं, 2-4 और लोग होते ही हैं । इस बात पे जब और सोचा तो लगा की निम्नलिखित कारण हो सकते हैं इसके :
१. एक कारण जो सीधा सीधा लगा वो ये की कोई उन्हें एक बार में पहचान न पाए ।२. हो सकता है की घर वालों का "फैमिली प्रेशर" हो कि अपनी फोटो नहीं डालोगी । इस तरह की फोटो डालकर वो ये कह के बच जाती हैं कि देखो मैंने कहाँ "केवल" अपनी फोटो डाली है । बबिता, साधना, हेमा, जया भी तो हैं ।३. हो ये भी सकता है की वो कोई ऐसी फोटो लगाती हों जिसमे वो बाकी सबसे ज्यादा खूबसूरत (कम से कम खुद को तो ) लग रही हों, जिससे कोई पूछे की इनमे से तुम कौन हो तो कह सकें "वही जो सबसे खूबसूरत दिख रही है"।
अच्छा ये तो हुई फालतू की बात , मुद्दे की बात पे आते हैं । हमने अपने दोस्त से पूंछा की अबे इनमे से कौन है तो बोले "बांयें से पांचवी"। पर फोटो में तो ५ ही हैं , दायें से पहली क्यूँ नहीं बताई । फिर लगा बेचारा "गर्लफ्रेंडव्रता" होगा । सीधे नाम क्या, फोटो में भी इशारा नहीं कर सकता ।
हमने उन्हें "आल दा बेस्ट" बोला । आने वाले "चैलेंजेस" के बारे में छोटा सा भाषण दिया, जो १५ मिनट का था । और उनसे रुखसत हुए ।
दरसल ये प्यार और फेसबुक का रिश्ता काफी गहरा है । कितनी ही प्रेम कहानियां यहाँ बनी होंगी । लोगो का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग के आने से प्यार-इश्क का माहौल परवान चढ़ रहा है । कुछ लोग तो इसी चक्कर में सोशल नेटवर्किंग के विरोध में आ गए हैं । क्या पता आमिर खान को आने वाले टाइम में सोशल नेटवर्किंग के सपोर्ट में सत्यमेव जयते का एक आध एपिसोड भी करना पड़े
हमें लगता है कि सोशल नेटवर्किंग के आने से प्यार में "कम्पटीशन" बढ़ गया है । पहले "वन-साइडेड" लवर्स की रेंज एक - दो मोहल्ले, स्कूल-कॉलेज तक होती थी । आज मामला ग्लोबल हो गया । अचानक से बढे इस कम्पटीशन से हमारे टाइप के लोग हलकान हैं । कल तक अनीता (काल्पनिक नाम ) पर मोहल्ले के बबलू और पिंकू, कॉलेज के अजीत , महेश और सतिंदर (कुछ नाम काल्पनिक, कुछ महा-काल्पनिक) लाइन मारते थे । आज न जाने कहाँ कहाँ से आ गए हैं , 1672 तो कुल जमा दोस्त हैं फेसबुक पे अनीता के, जिसमे, 1523 मेल । खुद अपना नाम उसकी फ्रेंड लिस्ट में सर्च करने जाओ तो केवल डी से शुरू होने वाले 128 फ्रेंड है । जिसे देखो वो उसे "गुड-डे" "गुड-नाईट" की पोस्ट में टैग कर रहा है । साला समझ ही नहीं आता की हो क्या रहा है । परसों उसने लिखा "नेट कनेक्शन डाउन है" । सौ से ऊपर तो लाइक आ गए । कुछ तो पूंछने लगे कहाँ, कब, कैसे, क्यूँ कितना, किसका । ये भी तक न समझे जब कनेक्शन डाउन है तो उसने पोस्ट कैसे किया । और अगर कर भी दिया मान लो कैसे भी तो, अब जवाब देने के लिए भी बैठेगी क्या? और अगर यही करना था तो उसने "नेट कनेक्शन डाउन है" का पोस्ट ही क्यूँ किया ???
इन्ही सब लफड़ों को ध्यान में रखकर फेसबुक के मालिक ने पहले गर्लफ्रेंड बनाई थी बाद में फेसबुक, या ये कहें फेसबुक बना भी था इन्ही लफड़ों के बाद
वैसे फेसबुक मैनेज करना भी आसान नहीं है । बड़े बड़े लोग इससे अक्सर छेड़-छाड़ करते रहते हैं । कुछ लोग घर जाते हैं तो "वाल" को अपने साथ ले जाते हैं । कुछ जब देखो तब "वाल" गायब कर देते हैं ।
अभी सुनने में आया है की कम्पनियाँ अपने एम्प्लोयी के फेसबुक अकाउंट मोनिटर करने जा रही हैं । ये काम तो मेरे पहचान के एक मैनेजर ने बहुत पहले किया था । वो बहुत फ्रेंडली थे । सबने उन्हें फ्रेंड लिस्ट में एड कर लिया । अब सबको ऑफिस में फेसबुक खोलने में भी डर लगता है|
वैसे प्यार बनाम फेसबुक में जीत हमेशा मोबाइल सर्विस प्रोवाईडर्स की होती है । मामला अन्तर्राष्ट्रीय होने पर बाजी "स्काइप" मार ले जाता है । :) :) :)
ये कहानी बहुत लम्बी है फिर कभी बताएँगे अभी मन नहीं कर रहा ।पर जाते-जाते आपको एक कालजयी शेर ज़रूर सुना देते हैं :
उन्होंने गरियाया हमें हमारी ही वाल पे, उनकी इनायत है ,
कभी हम उसपे आये कमेंट्स, तो कभी लाइक्स को देखते हैं ।
अब आप हमें कमेंट्स में न गरियाना :) :)
नमस्ते !!!!