इससे पहले कि कोई और ये सौभाग्य छीनता, रात के १२ बजते ही हमने सबसे पहले खुद को बड्डे विश करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की सोची, पर एस एम एस भेज के एक परम मित्र ये बाज़ी मार ले गए | लेकिन कभी-कभी बाज़ी हारने में भी सुख ही मिलता है, वैसा ही हुआ | हमारे रूम-मेट साहब को भी शायद आईडिया नहीं था कि इस महापुरुष का आज ही जन्मदिन है, वो कुछ देर पहले ही सोने खिसक लिए थे !!!!
पर काफी देर तक जब किसी का फ़ोन नहीं आया तो लगा कि जनता अपना टाइम ले रही है | फिर थोड़ी देर और हुई तो हमसे ना रहा गया, भला बिना बधाई के भी कोई जन्मदिन होता है भला, लोगो को हम खुदई फोन लगा दिए | काफी देर बातचीत भी किये| खून पिए, बधाई भी मिल गयी साथ में :) :)
सुबह उठे तो सबसे पहले एक शर्ट निकालकर "इस्त्री" की | तब समझ में आया कि इसे "इस्त्री" क्यूँ कहते हैं | इसी टाइम किसी "स्त्री" की कमी काफी महसूस होती है | :) :)
सबसे पहले हम माताश्री को फोन किये | उन्होंने आशीर्वाद दिया तो हम खुश हो गए | फिर काफी लोगो से बात हुई, फोने पर | बाद में फेसबुक पर बधाई सन्देश देखे | हमारे एक स्कूल के समय के दोस्त ने हमें बड्डे का केक फेसबुक पर भेज दिया | उन्हें शायद हमारी उम्र का कुछ खास आईडिया नहीं होगा | केक में उम्र की मोब्बती में उन्होंने २ लगा दिया और बाकी फोटो को एडिट कर हटा दिया | दोस्त!!! इस बार तो तुम सही निकले, पर अगली बार ये ट्राई किया तो गलत साबित होगे :) :)
ऑफिस में एक दिन पहले ही टीम मीटिंग में बता दिया गया था कि महाशय कल जन्मदिन मना रहे हैं, हम सुबह से डरे सहमे बैठे रहे , पर कोई पार्टी के लिए भी नहीं आया | फिर लंच पर गए तो क्यूबिकल के साथी ने एक फाइव-स्टार चॉकलेट गिफ्ट की , हम तो सुपर-स्टार हो गए |
हमारे एक घने दोस्त हैं, हम सब उन्हें बड़े मालिक बोलते हैं, उनकी बेटर-हाफ ने हमें बोला कि घर आ जाओ यहीं बड्डे मनाते हैं तुम्हारा | पर काम के कारण जाना संभव ना हो सका | तभी बड़े मालिक ने फोन किया और इस तरह एक्टिंग करने लगे कि घर में किसी काम कि वजह से पार्टी आज संभव नहीं है | पर ये भी पूंछ लिया कि शाम को कहीं जा तो नहीं रहे हो | हम समझ गए हम कहीं याएं या न जाएँ पर ये ज़रूर आने वाले हैं, हम तैयार हो गए कि आज रात तो हुड़दंग हो कर ही रहेगी |
शाम को हम पंकज, वही हमारे रूम-मेट, को ऑफिस से सीधे चाय की टपरी पर बुला लिए | वो हाथ में एक थैला लेकर आ रहे थे, हम मन ही मन खुश हुए की चलो इन्हें पता चल गया, हमारे लिए गिफ्ट लेकर आये हैं | मिलते ही बोले “लो मालिक, तुम्हारे लिए” | हमने कन्फर्म करने के लिए पूछा “अरे ये किसलिए?” | वो उवाचे “अरे यार कुछ गिफ्ट कूपन पड़े थे, सोचा कुछ खरीद लिया जाये, छेने और बिस्कुट हैं |” हमने कहा धत्त तेरे की | फिर हमने उन्हें कहा चलो यार आज कहीं बाहर खाते हैं, शानदार डिनर किया जाये | वो तब भी नहीं पूछे कि काहे बे, कौन ख़ुशी ??
तभी हमारे एक और दोस्त का फोन आया, उनसे बात करते टाइम , पंकज बाबु कुछ ताड़ गए | “मालिक कुछ ख़ास है क्या, आज ?” | “फेसबुक पर जाओगे नहीं और ना याददाश्त को भी तुम्हारी याद है कि लास्ट टाइम कब ठीक से चली थी?” हमने कहा | “अरे मालिक , हमें लग रहा था , तुम लिब्रन हो, होना तो बड्डे इधर ही चाहिए, कोई नहीं देखो तुम्हारे लिए छेने तो ले ही आये हैं|” उन्होंने माहौल संभालने की कोशिश की | फिसल पड़े तो हर गंगे|
खाना खा के घर पहुंचे ही थे कि बड़े मालिक का फोन आ गया “हरियाणा डेरी” पर खड़े हैं तुम्हारे सेक्टर की , फटाफट आ जाओ” | उनको लेने गए | साथ में तीन और दोस्त आ गए थे | सबके लिए खाना खरीदा गया | फिर छत पर गए | वहाँ पार्टी का जुगाड़ किया गया | केक काटा , वो भी ठीक १२ बजे के बाद | मालिक का कहना था “यार बड्डे तो पूरा वीक चलता है, कोई नहीं"| केक खाए जाने से ज्यादा मूह पर लपेटे जाने की प्रथा है | हमारा मेक-अप कायदे से किया गया |
फिर सुबह ४ बजे तक गप्प-गोष्ठी चलती रही | गाने भी सुने गए खूब सारे | खाना खाया गया | मालिक ने बहुत सारा ज्ञान दिया | डेली सोप्स की खिल्ली उड़ाई बड़े मालिक और हमारे दूसरे शादी-शुदा मित्र ने | इससे समझ में आया कि ये भी “स्त्री-इफेक्ट" है | :) :)
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बचपन में पापा,मम्मी, भाई और बहन के साथ मंदिर जाकर मनाते थे ये दिन | घर पर मम्मी मेरी पसंद की कोई चीज़ बनाती थी | बड़ा मजा आता | घर से बाहर निकले हुए भी १० साल से भी ऊपर का वक़्त हो गया | तबसे कभी मनाया ये दिन, कभी नहीं भी मनाया | पर हर बार सबसे बात करके मन लेते थे ये दिन |
पापा जी के जाने के बाद ये पहला जन्मदिन था | थोड़ा सा मन उदास सा था पर लगा कि उदास रहना शायद उन्हें भी ना पसंद आता | तो और ख़ुशी ख़ुशी मनाया ये दिन | लगभग सारे दोस्तों, फैमिली के लोगो से बातें की | शाम तक आते-आते मन एक बार फिर खुश हो उठा | दरसअल ज़िंदगी बड़ी उठा-पटक करती रहती है | गए दिनों और भी बहुत सारी बातें चलती रही लाइफ में | इस बार बात करते समय दोस्तों से उन बातों का गाहे-बगाहे ज़िक्र आता रहा | बहुत सी बातें सुनी-समझी-जानी | जो सबसे महत्वपूर्ण बात समझ आये वो कुछ यूँ थी :
“जिन्दगी में जिद और लक्ष्य दोनों ज़रूरी हैं, पर जब लक्ष्य न मिलता दिख रहा हो तो हौंसला मत छोड़ना और जब जिद ना पूरी हो रही हो तो दिल मत तोड़ना”
बात बहुत सोलिड टाइप लगी | फेसबुक पर शेयर भी कर दिए |
कुल मिलाके एक बढ़िया बड्डे बीता |
और हाँ अमिताभ बच्चन साहब को हम बड्डे विश नहीं कर पाए , का करते दिन भर फोन जो बिजी रहा | कोई बात नहीं बिग बी “बेटर लक नेक्स्ट टाइम” | :) :) :)
नमस्ते !!!!
-- देवांशु