आज बड़े दिनों बाद की-बोर्ड पर खटर - पटर  करने का मौका हाथ लग गया 
। 
मौका तो लगा,  पर लिखें का ? समझ नहीं आ रहा था |  सोचा अपने 
ड्राफ्ट में झांकते हैं , कोई पोस्ट-वोस्ट धाँसू टाइप मिल जाए तो ठेल दी जाए |  
अपनी पोस्टें खुदइ के पल्ले नहीं पड़ी | तब समझ में आया जनता पर काफी अत्याचार फैला 
रखा है अपन ने | 
फिर सोचा जरा सबके हाल चाल लिए जाएँ | जनता कहाँ है , कैसी है , 
किन किन हालात से गुज़र रही है | जरा ये सब पता किया जाए , मौका-ए-वारदात का जायजा 
लिया जाए ।पर जनता घणी बिजी | लोग-बाग़ अपने अपने में लगे हुए हैं | कोई 
किरकेट में बिजी की इंडिया काहे हार गयी , कोई पोलिटिक्स में “आप" की छीछालेदर पर 
ज्ञान बाज़ी कर रहा है | कुछ इसी में बिजी की दीपिका पादुकोण का नया विडियो आ गया है 
|
इसके अलावा भी बहुत से काम में जनता बिजी है | ऊ सब पता लगाके अपन 
आप को इन्फॉर्म करेंगे |
पर मुद्दा अभी भी यही रहा की का लिखा जाए |  लिख तो अपन अपने बारे 
में भी सकते हैं की अपन कितने महान टाइप हैं | फिर लगा की ये मौका तो आने वाले वक़्त 
में बहुत लोग उठाना चाहेंगे , तो यहाँ भी लिखने के बारे में नहीं सोचे |
जब बहुत देर तक सोच लिए और कुछ समझ ना आया की का लिखें , तो अनूप 
जी याद आ गए | काहे की वो हमसे एक बार कहे रहे की “जब तक अच्छा लिखने के 
बारे में सोचोगे तो कभी नहीं लिख पाओगे , जो मन में आये लिख डालो” | तो 
लिखने से पहले उन्हैये को फोनिया दिए |
फ़ोन उठाते ही उन्होंने पूछा “और क्या चल रहा है ?” हमने भी कह 
दिया “काम में लगे हुए हैं” | वो बोले “ अप्रैल फूल मत बनाओ, अगर काम में 
ही लगना था तो अमरीका जाने का का फायदा , यहीं कर लेते” |  ये बात 
उन्होंने फेसबुक पर भी सटा दी | जनता दनादन लाइक कर गयी |  काफी जनता लाइक करने में 
भी बिजी है |
अनूप जी को भी अपनी दुविधा बताये की बहुत जोर लिखास चढ़ी है , पर 
लिख नहीं पा रहे | उन्होंने कहा लिख मारो , जो होगा देखा जाएगा | हौंसला थोड़ा और 
बढ़ा |  फिर वो ये कहके फ़ोन रख दिए की चलो जरा देखा जाए कहीं कोई हमसे बड़ी 
बेवकूफी का काम ना कर जाए | 
११ महीने पहले जब पोस्ट ठेले थे , तबसे अब तक बहुत सारी घटनाएँ हो 
गयीं | देश में अच्छे दिन आ गए | दिल्ली में तो और भी अच्छे दिन आ गए |  जब दिल्ली 
में और अच्छे दिन की जुगत बोले तो चुनाव चल रहे थे , तब अपन दिल्ली में ही भटक रहे 
थे |  चुनावी माहौल में बहुत चीज़ें देखने लायक थीं | सोचा था इसके बारे में वापस 
जाकर लिखेंगे पर लिखने से पहले मजा किरकिरा हो गया |  खैर का कहें, बस लिखने का 
स्कोप एक बार फिर हाथ से निकल गया |
बीते दिनों  अपन की लाइफ में दो घटनाएँ और और हो गयीं : पहली तो 
अपन की शादी तय हो गयी , और दूसरी बात की अपन की शादी हो भी गयी |  अपन के यहाँ अपन 
को “हम" कहते हैं | मैडम ( श्रीमती जी ) के यहाँ अपन कहते हैं | अपन की भी अपन कहने 
की आदत पड़ गयी है | और इससे हमारे पिताजी का कथन भी सही साबित हुआ की 
खरबूजे को नहीं बल्कि खरबूजी को देखकर खरबूजा रंग बदलता है | 
खैर , अब और का बताएं | अनूप जी भी बोले की तुम्हारे फेसबुक 
स्टेटस से लगता है की तुम बड़े जल्दी टिपिकल पति बन गए हो,  दुविधा खुल के फेसबुक पर 
लिख रहे हो , कहाँ से सीखा ? अपन ने भी कह दिया की सब विद्वजनों की संगत का असर है 
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शादी को दो महीने से ज्यादा टाइम हो गया है |  अपनी लगभग सारी 
पोस्टें मैडम को पढ़ा झेला चुके हैं |  हर पोस्ट सुनने के बाद , 
दूसरी तरफ चेहरा करके मैडम कहती हैं “अच्छा लिखते हो” | दर्द छुपा 
ले जाती हैं |  उन्होंने भी वादा किया है की जल्द ही वो भी कुछ लिखेंगी | शायद 
हमारे शादी-काण्ड के बारे में,  काहे की कुछ मजेदार घटनाएँ वहां भी हुई हैं | खैर 
अब ये उनके ऊपर है |
फिलहाल बिना कुछ सोचे-समझे  अपन इतना ठेल दिए बोले तो   लिख-मारे | अब 
लिख दिए तो लिख दिए | आप मारना - वारना नहीं अपन को |
बाकी तो ये पबलिक है , सबइ कुछ जानती है |  बाद में मिलते हैं , 
तब तक टाटा !!!
-- देवांशु