मंगलवार, 3 जनवरी 2012

प्यार, इश्क, मोहब्बत और लफड़े…

जहाँ प्यार है, वहाँ इश्क है, जहाँ इश्क है वहाँ मोहब्बत है, और जहाँ ये तीनो है (बराबर मात्रा में), वहाँ लफड़े हैं | जैसे बिन बादल बारिश नहीं होती वैसे बिना लफड़े-बवंडर के प्यार नहीं होता|
दुनिया में सभी लोग, कभी ना कभी “पहला” प्यार करते हैं, कुछ पहला प्यार एक बार करते हैं, कुछ कई बार करते हैं|पर प्यार पहला ही रहता है | इस बाबत आदरणीय राहुल जी का बयान देख लीजिए ..

“हम जीते एक बार हैं, मरते एक बार हैं और प्यार भी एक बार होता है”|

(बस यहाँ प्यार से पहले अगर “हर किसी से" लगा देते तो बयान का दायरा बढ़ जाता, काफी “ग्लोबल” हो जाता | खैर कोई नहीं| जब हम समझ लिए तो बाकी भी समझ गए होंगे|)

प्यार, इश्क, मोहब्बत| ये सब उस उड़ती हुई चिड़िया के वो पर हैं, जिनको गिनने की कोशिश हर इंसान ज़िंदगी में कभी ना कभी तो करता है, कुछ “सक्सेसफुल" रहते हैं, बाकी दूसरी चिड़िया “टारगेट" करते हैं|

प्यार हो जाना बड़ी आम बात है, ज्यादातर लड़कों को अपनी इंग्लिश वाली और लड़कियों को मैथ्स वाले टीचर से पहला प्यार हो जाता है|  ये प्यार साल दर साल बढ़ता रहता है| और ज्यादातर लोग इसे बहुत जल्दी भूल जाते हैं| और ये सबको  तब याद आता है जब वो “ट्रुथ & डेयर” खेलते हैं| Who was your first crush?

लाइफ का दूसरा इम्पोर्टेंट प्यार, हमें अपने साथ पढ़ने वाले किसी बंदे या बंदी से होता है, जिसे "क्लासमेट" कहते हैं |  इस मामले में की गयी एक रिसर्च के बाद कुछ तथ्य सामने आये हैं :
  • लाइफ का ये प्यार , ज्यादातर एकतरफ़ा होता है|
  • सुंदरता बांटने में भगवान ज्यादा पक्षपात नहीं करते, हर उम्र के लोगो के वर्ग में कुछ सुन्दर (सभ्य, सुशील भी पढ़ें) लोग होते हैं | एसी “सुन्दर" कन्याओं के मोहल्ले का चक्कर हर दूसरा लड़का , सुबह शाम लगाता रहता है| और ऐसे ही “हैंडसम" लड़कों के नाम काफी लड़कियों की नोटबुक के पीछे के पन्नों में पाए जाते हैं|
  • इसके अलावा बाकी जनता सपोर्टिंग रोल में होते हुए भी अपने आप को मुख्य नायक या नायिका समझती रहती है|
  • इस तरह के इश्क ज्यादातर क्लास में, ट्यूशन में , समोसे की दुकानों में परवान चढते हैं, और इनकी परिणति गिफ्ट्स की दुकानों में हो जाती है|
इस तरह के बहुत तथ्य हैं, जगह की कमी के कारण नहीं लिख पा रहे हैं|

लाइफ का तीसरा इम्पोर्टेंट प्यार होता है कॉलेज में |  ये खतरनाक होता है |यही वो लाइफ का पहला प्यार होता है, जिसमे रातों की नींद , दिन का चैन एक साथ खो जाता है | यही प्यार पहली बार चार-दीवारी का “रूल” तोड़ता है, खुले बागों में गाना गाता है |  पहले प्रेम-पत्र भी लिखे जाते थे, आजकल ज़माना सोशल नेट्वर्किंग का है |  ये प्यार “जनम – जनम”  के साथ वाले प्यार से ठीक एक कदम पीछे वाला होता है, वो इस जीवन में “बिलीव" करता है | कवितायेँ लिखने की शुरुआ़त भी यहीं से होती है|

इसके बाद भी लाइफ में बहुत से प्यार होते रहते हैं |  मेरे एक मित्र ने अपनी पत्नी को देखते हुए कहा “हमारी तुम्हारी आपस में “अंडरस्टैंडिंग" को देखते हुए ऐसा लगता है कि अब बस ये हमारा तुम्हारा साथ साथ सातवाँ जनम ही है”|  नज़र ना लगे ऐसे प्यार को…
.
अब प्यार की कहानी तो इतनी लंबी है, कहाँ तक लिखें| लफड़ों की बात करते हैं, तो जनाब ये जो लफड़े हैं ना, ये एक अकेली चीज़ हैं जो जीवन भर होने वाले प्यार में आप के साथ खड़े रहते हैं| ज्यादातर लफड़े प्यार खतम करने का काम करते हैं, प्यार के पर्यायवाची होते हुए, विलोम का काम करने लगते हैं |  उन्ही को नीचे “लिस्टिया” रहे हैं:

प्यार का सच्चा होना :  ये बात एक बार मेरे एक परम मित्र (नाम नहीं लूँगा, मना किया गया है)  के साथ एक गहन डिस्कशन के बाद निकल के आयी| एक्चुअली प्यार का कुछ ज्यादा सच्चा हो जाना उसके पूरे ना होने का मुख्य कारण है | वैसे ही जैसे सोच गहरी हो जाये तो फैसले कमज़ोर हो जाया करते हैं|  हर सच्चे प्यार करने वाले को लगता है कि उसके प्यार की खबर सामने वाले को पहुँच जायेगी , अपनेआप | कहीं उसके बताने पे सामने वाले को बुरा ना लग जाये, आखिर सच्चा प्यार है, ये तो नहीं होना चाहिए| बस इसी वक्त भैंस, जो है चली जाती है पानी में| एक इस तरफ टुकड़ों में जीते रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी टुकड़ों में दूसरी तरफ जी रहा होगाआखिर प्यार सच्चा जो है |

दोस्तों का होना :  एक बार एक बात बताई थी किसी महापुरुष ने “Fastest way of communication “tell a woman” and to make it even more fast tell her not to tell anyone else” | बाकी का तो पता नहीं पर प्यार के मामले में लड़के भी इससे पीछे नहीं| अगर आप ने अपने किसी सबसे अच्छे दोस्त को बता दिया “कि देखो वो जो है ना, पीला दुपट्टा नीले सूट में, तुम्हारी भाभी है, और देखो अभी मामला नया है, अपने तक ही रखना, वक्त आने पे पार्टी होगी" | पर क्या मजाल सामने वाला मान जाये| देवर होने के सारे फ़र्ज़ निभाने शुरू :

पहला डायलोग (खुद आपसे): “भाई, भाभी तो बताया?? नहीं?? तो ये काम मैं कर दूं??, अपना लक्ष्मण और हनुमान दोनों मेरे को ही समझो"

दूसरा डायलोग (उस “दूसरे" लड़के से जो उसी लड़की पे फ़िदा है )  : “ओए लल्लू-पंजू, जो भी हो तुम , आजसे इसके आसपास दिखे तो, इतना धोयेंगे कि सर्फ़ एक्स्केल का प्रचार करने वाली सफ़ेद कमीज़ बन जाओगे , समझे, कट लो, भाभी है अपनी ”  ( लड़की को तो अभी तक नहीं पता चला आपके प्यार का, और अभी तो सीन में आप भी नहीं हैं)

तीसरा डायलोग (वो “देवर" जी अपने दोस्तों में जब आप नहीं हैं वहाँ पे) : “देख वो जो है ना, हाँ वही जिसे पटाखा बोलते थे हम सब, आज से कोई कुछ नही बोलेगा, भाभी हो गयी है अपनी, भाई का दिल आ गया है, समझे|” इसी बीच किसी ने बोला “अपन तो सब भाई हैं, कौन से भाई का दिल आया है ये तो क्लीयर करो" वो जवाब देंगे “वही साइंटिस्ट , अपना आइन्स्टाइन,  अबे उसके सामने मत बोलना, सेंटी आदमी है , बुरा मान जायेगा" | देखा उन्होंने किसी को नहीं बताया|

अब ऐसे लोग अपनी हरकतों से भी बाज़ नहीं आते, किसी दिन मान लीजिए उसी लड़की से किसी बात पे उलझ गए, काफी गालियाँ सुननी पड़ गयी उन्हें, तो लड़की को ही जवाब दे देंगे “वो तो  ***** (यहाँ पे आपका नाम भी हो सकता है) भाई का लिहाज़ कर रहे हैं, वरना तुम जैसियों को सुधारने में हमें टाइम ही कितना लगता है” | आपको इतनी इज्ज़त कब चाहिए थी भला?? आपके एक तरफ़ा प्यार का ऐसा कचूमर निकलेगा| इसके बाद आप नज़रें नहीं मिला पाओगे, छुपे छुपे घूमोगे| कालेज में टॉप भी कर लो तो भी घूर के देखा जायेगा |

एक और लफड़ा नया आ गया है मार्केट में , अब जैसे ही आपने बताया कि आपको फलां कन्या से प्यार हो गया है, तुरंत आपके दोस्त बोलेंगे “फेसबुक पे स्टेटस कमिटेड करो बे” | 


शाहरुख खान :  एक तो भाई ये शाहरुख खान,  इतना बिगाड़े हैं जनता को,  हर कोई खुद को "राज" समझता है, और एक अदद "सिमरन" की तलाश में लगा रहता है, राज को तो पिट-कुट के सिमरन मिल गयी पर असलियत में कितने लोग कुटे , सिमरन तो क्या उसकी झलक ना मिली| कुछ को तो लड़की के पिता जी ने हड़काया, कुछ को लड़कियों के भाइयों ने दौड़ाया, मोहल्ले के बाकी लड़कों ने कूटा | और इनको लगता रहा इनकी सिमरन अपनी माँ के साथ भागते हुए आएगी| पिटते-पिटते काफी देर वेट किया, और बाद में तो खुद जा भी नहीं पाए, ले जाए गए|

दरअसल प्यार में “कुछ तुम सोचो, कुछ हम सोचे” की जगह “कुछ तुम बदलो, कुछ हम सुधरे” का लोजिक चलता है| पर शाहरुख भाई की इन कुछ फिल्मों पे गौर फरमाएं:
इन सारी फिल्मों में बदलने सुधरने का जिम्मा  पैरेंट्स  पे रहता है| मतलब “हम ना बदलब, सुधरिहे संसारा"
और प्यार इनके लफड़े में पड़ के बस पड़ा रह जाता है, ना “पैरेंट्स” बदलते हैं ना हम सुधरते  हैं| अब तक तो काम चल रहा था ई सब पिक्चरें देख के, पर अब इनको झेलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी हो गया है |


डर : “ना” सुनने का डर , एक तो ये ससुरा बड़ा खूंखार लफड़ा है, “वो ना कह देगी या कह देगा तो क्या होगा" | इस चक्कर में भी बहुत लफड़ा-लोचा हुआ है| ज्यादातर प्यार इसी के चलते एक तरफ़ा रह के कब्र-नशीं हो गया , सुपुर्द-ए-ख़ाक हो गया, शहर-ए-खामोशा पहुँच गया | पर ये डर युग युग से चलता आया, और आगे भी जारी रहने की भी उतनी ही संभवनाएं हैं|

एक बात बड़ी खास है इसके साथ, कित्ताओ समझा लो जनता को, कि आगे बढ़ो, क्या होगा, ना बोलेगी तो क्या होगा, कुछ नहीं होगा, फिकर नॉट| पर ना कोई ना समझा | (मैं भी नहीं )|

एक और डर है, सोसाइटी में नाम खराब होने का, जिसके बाद आप अपने घर में भी पीटे जा सकते हो, इससे डर के भी बहुत लोग डरते रहते हैं, उनको “स्प्राईट” पीनी चाहिए| “डर" के आगे “जीत" है | (घटिया डायलोग, पर झेलो)


कविता : इस नाम की कोई भी कन्या ना घबराए, मैं उनके बारे में कुछ नहीं लिखने जा रहा| दरसल ये मेरा पर्सनल लफड़ा है| कविता लिख के प्यार जताना बहुत रिस्की हो जाता है| एक कहानी सुनाऊं, सुनोगे


तो हुआ यूं की मेरे मेरे एक दोस्त फ़िदा थे एक मैडम पे, वो कवितायेँ लिखती थीं| और हम भी अपने दोस्तों में बदनाम थे तुकबंदी के लिए| मैडम की एक सहेली थी, उनपे हम फ़िदा थे | एक प्लेट ब्रेड-पकोड़े और एक कप चाय की एवज में मेरे "उन्ही" दोस्त ने मुझसे एक कविता लिखवा ली …
“हर वक्त तुम्हारा चेहरा आँखों के सामने रहता है,
एक तुम हो की कभी पास भी नहीं आतीं|
अपने दिल की धडकनों को मै समझाऊं कैसे,
इनसे तुम्हारी याद कभी दूर ही नहीं जाती||”

मित्र महोदय लेके पहुंचे कविता मैडम के पास, उनके साथ हम भी हो लिए थे की हमारा भी कल्याण हो जायेगा| अब वो अकेले तो आयेंगी नहीं| मैडम ने कविता की ओर एक नज़र देखा, और उसे अपनी “उसी" सहेली को पकड़ा के आगे बढ़ लीं | उनकी सहेली ने कविता थामी,  पढ़ी और मेरे दोस्त को बोला “इतनी अच्छी कविता, तुमने लिखी?", मेरे दोस्त का ह्रदय बहुत बड़ा था,बोले  “हाँ मैंने ही लिखी" | मैडम की सहेली ने जवाब दिया “पर वो हिंदी में कविता नहीं लिखती, इन फैक्ट उसे ठीक से हिंदी पढनी ही नहीं आती, पर काश कोई मेरे लिए ऐसी कविता लिखता" | ये कह के वो भी चली गयी| मै और मेरा दोस्त एक दूसरे को घूरते रहे| कुछ दिनों बाद पता चला, इसी कविता के चलते मेरे दोस्त की सेटिंग उनकी मैडम की सहेली से हो गयी|  पूरी कॉलेज की लाइफ वो मैडम उधर अंग्रेजी में और मै इधर हिंदी में कविता लिखते रहे…

इसलिए पहले तो कविता लिखो नहीं प्यार में, लिखो तो अपने लिए लिखो| 

“पुस्तक में लिखी विद्या, दूसरों के हाथ में गया धन और किसी और के प्यार के लिए लिखी गयी कविता, तीनो वक्त पड़ने पे कभी काम न आये हैं, ना आयेंगे"

जीवन का लक्ष्य: प्यार के बीच में ये लक्ष्य हर बार आते रहे हैं, कभी कभी ये प्यार को पाने में मदद करते हैं, वरना आम तौर पे ये खतम ही करते हैं सब कुछ..इस श्रेणी में आने वाले कुछ वाक्य निम्नलिखित हैं:
  • मैं यहाँ पढ़ने आया हूँ| (कॉलेज वालों का पसंदीदा)|
  • पहले पढ़-लिख के बड़ा आदमी बन जाऊं|
  • पहला एम नौकरी, बाद में आये छोकरी|
  • अभी पढाई का टाइम है, प्यार के लिए तो ज़िंदगी पडी है|
इस तरह के जीवन के लक्ष्यों के चलते प्यार की काफी बेकदरी हो गयी है| इनसे बचना चाहिए!!!!

****

लफड़े और भी हैं|  जितने मुझे पता थे मैंने बता दिए, अब बारी आपकी, खुल के बताओ….ये सब नेक सलाहों की तरह हैं| आपके द्वारा दी गयी कोई भी एक सलाह ना जाने कितने लोगो के जीवन में उजाला ला सकती है….
“सलाह दान से करो कल्यान”

सभी को नववर्ष की शुभकामनायें!!!भगवान आपके जीवन में प्यार, इश्क, मोहब्बत की सप्लाई बनाये रखें और लफड़ों से खुद ही निपट लें….

नमस्ते!!!!

18 टिप्‍पणियां:

  1. ज्यादातर लड़कों को अपनी इंग्लिश वाली और लड़कियों को मैथ्स वाले टीचर से पहला प्यार हो जाता है|
    हा हा हा ..टू गुड.
    जबर्दस्त्त.

    जवाब देंहटाएं
  2. waah.. maja aa gaya... itne naazuk maslo par gyanwardhan ke liye shurkiya ... :)

    जवाब देंहटाएं
  3. खतरनाक पोस्ट लिखे हैं भाई...एकदम मस्त....
    मजा आ गया हुजुर :P

    जवाब देंहटाएं
  4. awesomely khatarnaak post hai...ham fir se akele baithe baithe hans rahe the :D gazab ka observation hai...kitne logon ko apni life ka aaina dikh jaayega.

    hamein sabse mast ye wali ri-sarch lagi
    प्यार हो जाना बड़ी आम बात है, ज्यादातर लड़कों को अपनी इंग्लिश वाली और लड़कियों को मैथ्स वाले टीचर से पहला प्यार हो जाता है|

    ye tumhein kaise maloom chala?

    जवाब देंहटाएं
  5. बिना लफड़े-बवंडर के प्यार नहीं होता|....या मियाँ, बिना प्यार के कहीं कोई लफड़ा -बवंडर नहीं होता :)
    खूब रिसर्च करी है भाई ..कितने पुराने जख्मों को फिर से उभार दिया:)
    एक अधेड़ उम्र के मटुक जूली प्रेम का भी विवेचन करना था न ... :)
    मैं तो यही जानूं जाने कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला ..... :(
    मौका तो कुदरत वाला सभी को अता फरमाता है शुरू शुरू में ..कुछ लोग अंतिम पावदान तक पहुंच कर प्रक्रिया को समग्रता दे डालते हैं ..
    और जो पिछले पायदानों तक रह जाते हैं वे कई प्रयास करके कई कई बार कई कई पायदानों के जरिये आख़िरी मजिल तक पहुंचते हैं ...
    अपुन शायद इस आख़िरी कड़ी की नुमायन्दगी करते हैं ...कितनी नावों में कितनी कितनी बार फिर भी अभी नहीं हुआ बेडा पार ? :)
    क्या समझे ?

    जवाब देंहटाएं
  6. bhai aakhir kyo na tarif karu kamal ki lekhni hai
    bahut hi badiya maza aa gaya

    जवाब देंहटाएं
  7. मैं तो समझता हूँ प्यार का कोई बंधन,कंडीशन या कोई एक रास्ता नहीं होता,प्यार पानी की मानिंद जहाँ जगह पाता है,समा जाता है !

    प्यार यह भी नहीं है कि ये नहीं तो वो सही,वो नहीं तो कोई और....!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुते ज्ञानी हो यार इस मामले में तो :)
    'मुझे फिर से पहला प्यार हो गया' - ऐसा भी होता है :)
    कुछ लोग ट्रुथ एंड डेयर में ईमानदारी से भी कोशिश करें तो भी एक नाम नहीं चुन पाते :)

    जवाब देंहटाएं
  9. पूरे लेख से "अनुभव" टपक रहा है!

    हमारे एक देशी दोस्त हुआ करते थे(थे इसलिये कि वो अब अंग्रेज हो गये है), उनको हर दूसरे तीसरे दिन प्यार हो जाता था। और हम उनके लिये खत लिखकर देते थे। चौथे दिन किशोर के दर्द भरे नग्मो वाली कैसेट ढुंढकर बजाना भी हमारा ही काम होता था।

    जवाब देंहटाएं
  10. @शिखा जी...शुक्रिया, आज ही आपकी आई आई टी वाली पोस्ट पढ़ी, प्यार का एक अलग लफड़ा उधर भी है :)
    @अलोक भाई..आपका भी शुक्रिया यहाँ आने और टिपियाने का :)!!!
    @अभी बाबू..कॉलेज के किस्से तो आपके भी काफी मशहूर हैं :)..कोई लफड़े के बारे में बताइए जिससे जनता को फायदा हो :)
    @ पूजा ..बस ऐसे ही पता चल जाता है, बहुत ट्रुथ एंड डेयर खेलने का नतीजा है ये :)
    @ अरविन्द जी ...गुरुदेव!!! आप तो काफी गहरे उतर गए , क्या धाँसू लाइन लिख मारी...वाह वाह ...".कितनी नावों में कितनी कितनी बार फिर भी अभी नहीं हुआ बेडा पार ?" ...बस "जहाँ चार यार मिल जाए वही रात तो गुलज़ार, जहाँ चार यार" :)
    @ आलोक मोहन...शुक्रिया भाई!!!!
    @ संतोष जी ..बिलकुल सही कहा, प्यार पूरा होते ही आपकी बताये सारे टर्म्स एंड कंडीशन लागू हो जाते हैं, मेरी कहानी उससे पहले की है बस :)
    @ अभिषेक बाबू ... इतना कंफ्यूज़न अच्छा नहीं है, अब तो चिठ्ठी भेजे हुए टाइम हुआ?? लौटती डाक से जवाब आया की नहीं?? :)
    @ आशीष श्रीवास्तव जी...जहाँ भी होंगे आपके दोस्त आपको दुआएं देते होंगे...अनुभव कई लोगो का है :)

    जवाब देंहटाएं
  11. शानदार लफ़डा चिंतन है :) मथे सो माखन होय!!

    जवाब देंहटाएं
  12. hum dono ko ye post bahut pasand aayi... dono kaun ??? dhattttt..... ab tumse bhi kuch chhupa hai kya.... ;) :P

    जवाब देंहटाएं
  13. @ Shekhar...sahi hai guru..itana risk le rahe ho vo bhi "recession" ke zamane me ...isse maaloom hota hai ki rang kaafi gahara hai ...badhai ho :)

    जवाब देंहटाएं
  14. सर जी.. ब्लॉग पढ़कर लगता है की आपने प्यार पर बड़ी आर & डी की है... आपने अपने अनुभव के साथ साथ दूसरों के अनुभवों का जो समग्र चित्रण किया है वह अतुलनीय है... प्रेम प्रसंग में होने वाले हर एक लफड़े लोचे का वर्णन अच्छा प्रयास है.... मैं पूर्ण विश्वास से कह सकता हू की सबके प्रेम प्रसंग के लोचे इस आलेख में वर्णित हैं........ :)

    जवाब देंहटाएं
  15. Kaafi Practical hain....Kavi ne poora dil kholkar rakkh diya hain...Bhavnayo aur vyakkhayoano k samundar mein dubki lagakar aise moti nikale hain ki poocho mat.........Nice...

    जवाब देंहटाएं
  16. @प्यार, इश्क, मोहब्बत| ये सब उस उड़ती हुई चिड़िया के वो पर हैं, जिनको गिनने की कोशिश हर इंसान ज़िंदगी में कभी ना कभी तो करता है, कुछ “सक्सेसफुल" रहते हैं, बाकी दूसरी चिड़िया “टारगेट" करते हैं|

    @ ज्यादातर लड़कों को अपनी इंग्लिश वाली और लड़कियों को मैथ्स वाले टीचर से पहला प्यार हो जाता है|

    @असलियत में कितने लोग कुटे , सिमरन तो क्या उसकी झलक ना मिली|

    @इस तरह के जीवन के लक्ष्यों के चलते प्यार की काफी बेकदरी हो गयी है| इनसे बचना चाहिए!!!


    भाई दिवांशु, तुम तो पुराने खलीफा निकले यार

    "प्यार इशक ओर अगडम बगडम"

    :)

    उम्दा पोस्ट.

    जवाब देंहटाएं