रविवार, 2 जून 2013

हैरी पॉटर की दुनिया !!!

पिछले कई महीनो से हैरी पॉटर के सारे उपन्यास और फिल्मे निपटाने में लगे हुए थे | कल फाइनली सब निपटा डाले | सही बताऊँ तो मज़ा आ गया | ऐसा लगता है कि किसी एक दुनिया के बारे में जानता ही नहीं था | बचपन में जादूगरों की कहानियां बहुत सुनी हैं |  अच्छी भी लगती थीं | हैरी पॉटर भी उसी तरह की एक कहानी है | बस इसकी रेंज बड़ी है , बहुत सारे कैरेक्टर्स हैं जो इसको बहुत इंटरेस्टिंग बना देते हैं |

कहानी :
कहानी का मुख्य नायक, हैरी पॉटर है | पर ये कह पाना मुश्किल है की वो नायक किस उम्र में बना | उसके माता-पिता जादूगर हैं | जब हैरी छोटा ही था तब उसके माता पिता को एक बुरा जादूगर, वोल्डेमोर्ट, मार देता है | जब वो हैरी को मारने की कोशिश करता है तो उसमें सफल नहीं होता, और अपना अस्तित्व ही खो देता है और जंगल में जाकर छुप जाता है |

और फिर एक स्कूल है जादूगरी का, होग्वार्ड्स | वहाँ के  हेड हैं , प्रोफ़ेसर एल्बस डम्बलडोर | डम्बलडोर दुनिया के सबसे बड़े जादूगर हैं और वोल्डेमोर्ट केवल उन्ही से डरता है | जब वोल्डेमोर्ट हैरी के माता-पिता को मार देता है तब  डम्बलडोर अपने साथियों की मदद से हैरी को उसकी मौसी के पास छोड़ आते हैं |

जब हैरी ११ साल का होता है, तब वो होग्वार्ड्स में दाखिल होता है | और यहाँ से शुरू होता है हैरी पॉटर का सफर | पूरे सात साल की कहानी , सात उपन्यासों में लिखी गयी है | हर साल हैरी को नए चैलेंजेस मिलते हैं | अपने दो दोस्तों रॅान और हरमोयनी के साथ मिलकर वो इनसे एक-एक करके निपटता है | और आखिर में जीत सच्चाई , दोस्ती और प्यार की होती है |


उपन्यास  :
उपन्यास फिक्शन और सस्पेंस की मिली जुली श्रेणी में आता है | इसके ७ भाग हैं:
१. हैरी पॉटर एंड फिलोसोफर्स स्टोन
२. हैरी पॉटर एंड चैम्बर ऑफ सीक्रेट्स
३. हैरी पॉटर एंड प्रिजनर ऑफ अज़क्बान
४. हैरी पॉटर एंड गोब्लेट ऑफ फायर
५. हैरी पॉटर एंड आर्डर ऑफ फीनिक्स
६. हैरी पॉटर एंड हाफ ब्लड प्रिंस
७. हैरी पॉटर एंड द डेथली हैलोस 

जे.के. रालिंग, जो इसकी लेखिका हैं, ने पूरी एक दुनिया गढ़ दी है | एक स्कूल, वहाँ की किताबें, पढ़ाए जाने वाले विषय , विषयों के कंटेंट, जादू की दुनिया, वहाँ के लोग,  लोगों के तौर तरीके,  उनकी सोसाइटी, उनकी सोच, ऊंचे जादूगर, नीचे जादूगर, वहाँ की मिनिस्ट्री, मंत्री  :  हर चीज़ का विस्तृत वर्णन है | पर कहीं पर भी बोरिंग नहीं | सबसे  महान इंसान भी कैसे गलती कर सकता है , गद्दी का लालच कैसे  हर इंसान की जान को दांव पर लगा देता है , मीडिया के भी सारे पहलू, सब कुछ मिलता है  |  एक फ्लो में बहता चला जाता है सब कुछ |  कहानी में जो कुछ भी घटता है उसका कोई न कोई कारण होता है और वो कारण वक्त आने पर पाठक के सामने खुलता जाता है | और शायद यही कारण है कि जैसे जैसे आप उपन्यास के अंदर जाते हो, आप खुद को इसके अंदर पाते हो | 

और हर उपन्यास के अंत में प्रो. डम्बलडोर हैरी को कुछ बातें बताते हैं , वैसे तो काफी फिलोसोफिकल होती हैं पर पढ़ने वाला कोई कम उम्र का है तो शायद बहुत ज़रूरी होती हैं उसके लिए | पर ऐसा नहीं है कि बड़ों के लिए उसमे कुछ नहीं | कभी कभी ज़िंदगी को समझने के लिए बच्चा बनना पड़ता है | बस यहीं पर हैरी पॉटर के सारे उपन्यास बड़ों के लिए भी पढ़ने वाले हो जाते हैं |

एक खासियत और है, सारे उपन्यासों की इस श्रंखला के :  सारे उपन्यासों की पूरी कहानी वोल्डेमोर्ट के द्वारा हैरी के माता-पिता की हत्या के इर्द-गिर्द है और हर उपन्यास उस घटना के बारे में कुछ नयी बातें उजागर करता है | और सबसे आखिरी हिस्से में आकर पूरी बात से पर्दा उठता है |

फिल्म :
७ उपन्यासों की कहानी को ८ फिल्मों में दिखाया गया है :

१. हैरी पॉटर एंड फिलोसोफर्स स्टोन ( अमेरिका और भारतीय उपमहाद्वीप में सोर्सर्स स्टोन के नाम से )
२. हैरी पॉटर एंड चैम्बर ऑफ सीक्रेट्स
३. हैरी पॉटर एंड प्रिजनर ऑफ अज़क्बान
४. हैरी पॉटर एंड गोब्लेट ऑफ फायर
५. हैरी पॉटर एंड आर्डर ऑफ फीनिक्स
६. हैरी पॉटर एंड हाफ ब्लड प्रिंस
७. हैरी पॉटर एंड द डेथली हैलोस पार्ट –१
८. हैरी पॉटर एंड द डेथली हैलोस पार्ट –२

पहली ६ फ़िल्में , ६ उपन्यासों पर हैं जबकी आखिरी उपन्यास को दो फिल्मों में तब्दील किया गया है  | हालांकि फ़िल्में उस डिटेल में नहीं जा पाती जिस डिटेल में उपन्यास है | बहुत से किरदार कम हो गए हैं फिल्म में | कुछ किरदारों को बहुत कम समय मिला है | इसलिए मुझे फ़िल्में देखने में ज्यादा मजा नहीं आया | हालांकि आप अगर सिर्फ फ़िल्में देखो तो भी कहानी का पूरा पता लग जायेगा | मुझे फिल्मों की तीसरी कड़ी, “प्रिजनर  ऑफ अज़क्बान ” अपने मूल उपन्यास के बहुत करीब लगी जबकी पांचवी कड़ी “आर्डर ऑफ फीनिक्स" सबसे दूर | बाकी सारी लगभग एक जैसी ही हैं |

सारे उपन्यास और फ़िल्में फ्लिप्कार्ट पर उपलब्ध हैं |
--देवांशु

9 टिप्‍पणियां:

  1. एक महान कार्य निपटा डाले आप, हम तो प्रारम्भ करने के पहले ही बिदक जाते हैं।

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  2. वाह। क्या जलवे वाला काम किया है। पोस्ट लिखकर और अच्छा काम किया। बधाई!

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  3. सच कहूं तो मैंने खुद इतना शोर होने के बाद भी इनमें से न तो कोई उपन्यास और न कोई फिल्म देखा था -
    आभारी हूँ - काम भर की जानकारी दे दी आपने!

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  4. मै तो आज तक हरी पुत्तर के पहले भाग के कुछ पन्नो से आगे नही बढ पाया. ऐसा नही कि मुझे मायावी दूनिया वाले उपन्यास पसंद नही लेकिन हैरी पोर्टर कभी अच्छा नही लगा. नारनिया(सातों भाग) और लार्ड आफ रींग तीनो ्भाग मजे से पढ चुका हुं.

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    1. शुरुआत में मुझे भी ऐसा लगा लेकिन थोड़ी देर बात एक दम इन्वोल्व हो गया फिर मज़ा आया पढ़ने में

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    2. अब लगे हाथ लार्ड आफ रिंग भी पढ़ डालिए -

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  5. इतना हो हल्ला होने के बाद मैंने कम से कम ४-५ बार इसका पहला उपन्यास और पहली फिल्म देखने की कोशिश की होगी, पर हर बार कुछ पन्नो या आधे घंटे से ज्यादा नहीं बढ़ पाई :(. शायद इसकी वजह, मेजिक जैसी चीज़ों पर मेरा जीरो इंटरेस्ट हो.
    यहाँ एक बार फिल्म का हैरी पोटर एक मॉल में बच्चों से मिलने भी आया था, तो बच्चों को उससे मिलवाने मैं भी ले गई थी. पर उसका नाम आजतक मुझे नहीं पता :P.
    आज तुमने कम शब्दों में इतनी जानकारी दे दी कि कम से कम किसी से इस बारे में बात करते हुए बगलें नहीं झांकना पडेगा :).

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  6. हमने नहीं पढ़ी। फिल्म तीन देखा है… पर जितने बातें लिखी तुमने उतनी पता थी :)

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