सबेरे उठे तो सालाना आदत के चलते माताश्री १५ अगस्त के शुभ-अवसर पर प्रधानमंत्री का भाषण सुन रही रहीं | सबसे पहले जो डायलोग कानों में गया वो ये रहा (शब्द थोड़े अलग हैं):
“गरीबी को नापना एक मुश्किल काम है , लोगो के अलग अलग ख़याल हैं, पर कोई भी परिभाषा अपनाएं २००४ के बाद से गरीबी बहुत कम हुई है”
हमें लगा इससे ज्यादा ना सुन पाएंगे भाई , अभी एक और साहब का भी सुनना है स्पीच , वो पहिले ही दावा कर दिए हैं की प्रधानमंत्री से अच्छा भाषण देंगे | सोचे शाम को दोनों का एक-एक करके सुनेंगे | फिर से सो गए |
देशभक्ति तो आज के दिन ऐसे तोड़ू तरीके से जगती है की पूछो मत | नीचे की फ्लोर पर रहने वाले लड़कों ने तो एक दिन पहले से मनाना शुरू कर दिया | काफी रात तक नाच गाना चलता रहा | आजादी का नशा कोई मामूली नशा नहीं होता है | हम भी बोले की हम आज़ाद हैं और रात १२ बजे से पूरे चार घंटे का गिटार प्रोग्राम चलाएंगे तो जवाब में सिस्टर जी ( अब बहन जी तो नहीं बोल सकते ना ) ने कहा हम भी आज़ाद हैं , गिटार संभाल लेना फिर | हमने अपने अरमानों का गला घोंट दिया |
आज़ादी का दिन था तो हम वैसे ही देर से उठे | बचपन में १५ अगस्त एक दम पूजा टाइप लुक देता था | कथा टाइप भाषण होते और बाद में परसाद में बूंदी के लड्डू मिलते | फिर वक़्त बदला , आजादी का मतलब भी बदल गया |
सबसे पहले घूमने निकले की देखा जाए की कहाँ कैसे आज़ादी मनाई जा रही है | सामने के सेक्टर में भाषण-बाजी चल रही थी | थोड़ी देर सुने फिर आगे बढ़ गए | ऐसा लगभग ३-४ पार्कों में हो रहा था | आगे मंदिर पहुँच गए | वहां भी बराबर भीड़ थी | मुझे लगा की भगवान् की पूजा तो आज भी होनी चाहिए | उन्ही के भरोसे तो ये देश चल रहा है | वरना डुबाने वाले तो कबसे उतारू बैठे हैं | भगवान् जी से मुलाकात करके आगे बढे | हलवाई के यहाँ से घेवर खरीदा, माताश्री को बहुत पसंद है |
घर वापसी पर मकान-मालकिन को किराया बढ़ाये जाने को लेकर वार्षिक बहस हुई, जो हमने १००० के मुकाबले १०० रुपयों से जीती |
तभी सोनल का फ़ोन आ गया “आज तो आज़ाद होगे ??”
हमने कहा “नहीं जी , बड़ी गुलामी में जी रहे हैं”
उधर से आवाज़ आयी “तो फिर सही समय पर ठिकाने पर पहुच जाना” |
दरअसल सोनल के घर पर एक गप्प-गोष्ठी का आयोजन किया गया था | कई अतिथि आ रहे थे, और सारे मुख्य-अतिथि | शिखा जी , अनु जी , आराधना जी , अभिषेक बाबू | हम भी इन-वाईटेड थे |
सोनल जिस कम्युनिटी में रहती हैं उसके गेट पर खड़े गार्ड ने हमें सबसे पहले रोका | बोला टिकस लै लेयो | हमें लगा की उसे आइडिया लग गया है की बड़े बड़े लोग आ रहे हैं, तभी इंट्रीटिकस लगा दिया है ( अब तो भाषण सुनने के भी रुपये लगते हैं ) | हमने कहा एक टिकस दै देयो | पर वो बोले पहले उनसे बात कराओ जिनके पास जाना है | सोनल से बात कराई गयी | तब जाकर टिकस मिला | फोन पर ही पता चला की अभिषेक बाबू भी आ गए होंगे, देख लो | देखा तो वो गेट में घुस ही रहे थे, हमने कहा टिकस पर +१ कर दो |
कम्युनिटी बहुत शानदार रही | हमने अभिषेक से कहा यार बड़े महंगे घर हैं, अपनी औकात से बाहर | उन्होंने भी हामी भर दी | फिर हमने कहा “एक घर तो ना ले पाएंगे , पूरी कम्युनिटी कितने में बिकेगी ये पता लगाओ" | उन्होंने हमें घूर के देखा |
अन्दर दूसरे गार्ड से बिल्डिंग की लोकेशन पूछी , बोले है तो यही पर. टिकस है ? हमने दन्न से टिकस दिखाया | तब अन्दर जाने को मिला | बड़ा ताम-झाम वाला काम रहा यहाँ तक |
शिखा जी पहले पहुँच चुकी थीं | हम लोग भी पहुँच गए | पता चला बाकी लोग नहीं आयेंगे इस लिए गप्प-वार्ता-आलाप शुरू किये गए | दुनिया जहान की बातें | इसे ब्लॉगर-मीट कहना उतना ही सही रहेगा जैसे हिन्दुस्तान को लोकतंत्र कहना (सटायर) |
गप्प की रेंज एटम बम की रेंज से ज्यादा होती है | शुरुआत हुई खस के शरबत से जिसमे सोडा मिला हुआ था | पहले सब लोग सभ्यता के साथ हँसते रहते , बाद में सभ्यता की डोरी टूट गयी और चिग्घाड़-चिग्घाड़ के हंसाई प्रोग्राम चालू हो गया |
सोनल ने दोपहर का डिनर बहुत फोड़ू टाइप बनाया था | स्पेशली मिक्स-वेज | ठूंस-ठूंस के खाए | मिठाई भी बहुत बढ़िया थी |
गप्प-गोष्ठी पार्ट-२ शुरू हुआ | बीच बीच में फोटो खीच के सोनल फेसबुक पर डालती रहीं | ऐसे ही टाइप की एक मीटिंग लास्ट इयर भी भई रही | हम पहले ही बोले थे सोनल को की किसी और को भी बुला लेना वरना लगेगा की लास्ट इयर की डाल दिहिन हैं फोटो | पर अनु जी ने ना आकर हमें बचा लिया | लेकिन परशांत बाबू यही कमेन्ट कर दिए ( इंगेजमेंट के बाद इंसान काफी प्रेडिक्टेबल हो जाता है ) | उनसे भी निपटा गया |
सही बताएं तो भूल गए हैं की कौन कौन सी बात पर और कित्ता हँसे | पर हँसे बहुत | फिर ये हुआ की कॉफ़ी पी जाए | हमने कहा हम बना देते हैं | काफ़ी बनाई तो शर्त ये रखी गयी की पियेंगे तब , जब तुम ट्रे में सजा के लाओगे | हम बहुत सीधे वाले बच्चे हैं , फटाफट मान गए | पर शिखा जी ने तुरंत फोटो खींच ली | और सोनल ने फेसबुक पर डाल दी | जनता भी ना !!!!
फोटो पर अनूप जी ने पहले तो कहा की पल्लू भी डाल लो हीरो बेटा , फिर अगले कमेन्ट में कह दिए की कोर्ट में जाकर केस कर दो, निजता का उल्लंघन हुआ है तुम्हारी | बात तो गौर करने वाली है वैसे, देखते हैं किसी टाइम |
थोड़ी देर के लिए ब्लॉग के बारे में बात हुई | ज्यादातर ब्लोगरों को हम जानते ही नहीं थे तो इस हिस्से में हम सन्नाटे में रहे , सुनते रहे | पर ये चर्चा ज्यादा देर चल नहीं पायी | सब वापस औकात पर गए | सबकी बारी बारी से टांग खिचाई हुई |
शिखाजी ने अपनी नयी किताब “मन के प्रतिबिम्ब" हम लोगो को गिफ्ट की | अभी पढ़ नहीं पाए हैं , उसके बारे में फिर कभी | आजकल “ट्यूसडेज विध मोरी” पढने में टाइम निकला जा रहा है | ये किताब पिछली मुलाकात में अनु जी ने सजेस्ट की थी | पहली बार कोई किताब पढ़ रहे हैं जो हर पन्ने पर अपना समय मांग रही है | बहुत बढ़िया किताब है |
शाम हो गयी थी तो अब वापस जाने का समय हो गया | सोनल ने अपनी ड्राइविंग कौशल का परिचर दिया , हम सब को सकुशल पंहुचा दिया | सबसे मिलना एक बार फिर बहुत बढ़िया लगा |
घर आकार परधानमंत्री और सो-काल्ड भावी परधानमंत्री दोनों का भाषण सुने फिर से | सही बताएं तो दोनों बेकार लगे | एक ने कहा “हमने ये ये किया इसलिए अगली बार हमको वोट दो” | दूसरे ने कहा “देखो उन्होंने ये ये किया इसलिए अब हमको वोट दो” |
रात में अनूप जी का फ़ोन आया , उन्होंने कहा की पोस्ट लिखी जाए इस मीटिंग पर | हमने चिट्ठा चर्चा की डिमांड कर दी | उन्होंने कहा तुम लिखो पोस्ट, हम चर्चा शुरू कर देंगे | उन्होंने अपना वादा पूरा कर दिया पर हम पोस्ट ठेल नहीं पाए | वीकेंड भी भागा-दौड़ी में निकल भागा | अनूप जी ने फिर से चेताया की बेटा ये बड़े ब्लोगरों के लक्षण हैं जो कहने पर भी पोस्ट नहीं लिखते | अब इस आरोप से बचना बहुत ज़रूरी था तो बस ठेल दी ये पोस्ट, बाकी इसमे हमरी और कोनू गलती नहीं है |
फिलहाल आज़ादी के दिन की बिलेटेड शुभकामनायें !!!!
मनस्ते !!!!
-- देवांशु