ज़माना जब से सोशल मीडिया का हुआ है , वर्चुअल वर्ल्ड पर इंसानी हरकतें एक नए दौर में पहुँच गयी हैं । हस्ती का सबूत आपकी पोस्ट को मिलने वाले कमेंट और उस पर मचने वाली भसड़ से मापा जाने लगा है । आपकी प्रोफाइल पिक पर सैकड़ों लाइक और दर्ज़नों कमेंट ना आएं तो खुद पर शक हो जाना लाज़मी है । कुछ लोग तो ऐसा ना होने पर हिंदी डेली सोप की तरह अपने चेहरे को प्लास्टिक सर्जरी से दुरुस्त कराने की बात सोचने लगते हैं हांलाकि प्लास्टिक सर्जरी से वाकई शकल क्या इतनी बदल जाती है इसपर दुनिया को रिसर्च करने की ज़रुरत है ।
मेरा एक बचपन का दोस्त आज से करीब २० साल पहले पासपोर्ट साइज की फोटो बनाने वाले से इसलिए भिड़ गया की उसकी शक्ल ख़राब और टेढ़ी आयी थी । फोटोग्राफर पहले भी उससे भड़का हुआ था क्यूंकि हरबार यही कहकर वो अपनी एक्स्ट्रा फोटो बनवाता था , बोल उठा की जैसी शकल है वैसी आएगी । बन्दे ने ऐसी तोड़फोड़ मचाई की फोटो स्टूडियो हफ्ते भर बंद रहा ।
खैर , वापस आते हैं । सोशल मीडिया के ज़माने में ।
बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया ना केवल बहुत ज़िम्मेदार हुआ है अपितु जनसेवा के कार्यों में किसी भी चुनावी बरसात में जागने वाले नेता रुपी मेढक से भी आगे निकल रहा है ।
जिस तरह कविता के आदिकाल और भक्तिकाल के बीच में एक गहरे असंतोष का पाया जाना हमारे साहित्यिक इतिहासकार बताते हैं , उसी तरह सोशल मीडिया के जागरूक होने के ठीक पहले का काल भी ऐसे ही नैराश्य से भरा पड़ा था । ज़िन्दगी कष्ट में बीत रही थी लोगों की । सोशल मीडिया ने सबसे पहले अच्छी खबरें देने का जिम्मा उठाया ।
किसी देवी , देवता, पशु पक्षियों की फोटो शॉप की गयी फोटो, मंदिर , मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च : कोई भी तस्वीर को शेयर करने से आपको गॉरंटी के साथ आजकल अच्छी खबरें मिलने लगी हैं । "इस देशभक्त " या "इस माँ" को कितने लाइक टाइप की फोटुएं धड़ाधड़ शेयर हो रही हैं । जनता का दिल कितना बड़ा है इसी से समझ आ जाता है जब वो किसी मासूम बच्चे की फोटो शेयर करके बोलते हैं की फेसबुक हर शेयर का कुछ रुपया इसके इलाज़ में खर्च करेगा । और ऐसी फोटो को जिस तरह की ज़बरदस्त कामयाबी मिलती है उससे लगता है की दुनिया में मानवता अभी बाकी है । वैसे जेब से एक फूटी कौड़ी ना खर्च करने की कंडीशन हो तो ज़माना आज भी नहीं बिगड़ा है अदरवाइज़ पूरे एक ज़माने से ज़माना बिगड़ा पड़ा है । ऐसे मासूमों का इलाज़ पता नहीं हो भी पाता है या नहीं , पर कुछ फोटो तो हर दूसरे तीसरे साल वापस शेयर हो जाती हैं ।
एक और ट्रेंड है । फलाना नंबर फोटो पर लिखें और जादू देखें । ये बहुत बढ़िया है । मैंने देखा एक किसी अत्यंत खूबसूरत बाला , जिसने आवश्यकता से कुछ ही ज्यादा कपड़े पहने हुए थे , की फोटो पर धधड़ ततड़ कमेंट हो रहे थे । मौजू था कमेंट में ५ लिखें और जादू देखें । कमेंट करने वाले ना जाने कितने युवाजन , जिन्हे ५ तक की गिनती भी सुनाने में १० डस्टर की मार पड़ती थी , इस उम्मीद में की अभी ये फोटो हैरी पॉटर के चलायमान फोटो में परिवर्तित होगी और कुछ ऐसा देखने को मिलेगा जिससे उनके आदि काल से पिपासु नैन तृप्त हो जाएंगे , ५ फिर ५ और उसके बाद एक और ५ लिखे जा रहे थे । कुछ सदाचार का ठेका ले चुके लोग भी थे , उनका मानना था की ५ लिखते ही ये लड़की किसी भरपूर कपड़े पहने हुए सुन्दर बालिका में तब्दील हो जायेगी , और वो ये कह कह के लोगों को शेयर कर सकेंगे कि देखो ये होती है सुंदरता । और ये भी ठोक देंगे की अगर कपड़े उतारना ही आधुनिकता होती तो "फलाना" आजकल सबसे आधुनिक होते ।
खैर , ५ लिखने वालों को क्या मिलता है वो तो वही जाने । हाँ किसी और फोटो में वे ७ या ९ लिखते फिर दिख जाते हैं । या तो ५ से कुछ हुआ नहीं या उनको पूरी उम्मीद है जब ५ से इतना हुआ तो ७ और ९ से और क्या क्या हो सकता है ।
इस बीच लोगों ने ऐसा आरोप भी लगाया है कि सोशल मीडिया देश के लिए कुछ नहीं कर रहा । सोशल मीडिया के कर्णधारों से ये नहीं सहा गया । उन लोगों ने अगले चुनावों से लेकर बड़े से बड़े आतंकवादी का फैसला चुटकी बजाते कर दिया । आप इनको अगली बार प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं । हाँ के लिए लाइक और ना के लिए कमेंट करें । और सहमत हों तो शेयर करें । ऐसी फोटो पर भी लाखों कमेंट और लाइक । हज़ारों शेयर भी । और एक भारत का चुनाव आयोग है , इत्ते पैसे खर्च करता है ।
ऐसे ही एक आतंकवादी की फोटो पर एडिट करके जूता बना दिया और , और बोला लाइक = ५ जूते , कमेंट = १० जूते और शेयर = १५ जूते । टोटल ३२. ४ हज़ार लाइक , १६ हज़ार कमेंट और ९ हज़ार शेयर , कुल मिलाकर : 26835000 ( पढ़ के बताओ तो जाने ) जूते जनाब को बैठे ठाले पड़ गए । इतने जूते पड़ने के बाद इंसान का जो भी हश्र हो , मुझे अपनी सरकार पर बड़ा तरस आया कि फालतू में पड़ोसी मुल्क की सरकार को सबूत पर सबूत दिए जा रही है । मामला यूं निपटाना था ना ।
इसी तरह के ना जाने कितनी समस्याएं कमेंट-लाइक-शेयर के फलदायी तूफ़ान ने यों ( चुटकी बजाते हुए ) बोले तो यों ( फिर से चुटकी बजाते हुए ) हासिल की हैं । भविष्य में युद्ध इसी टाइप से लड़े जा सकते हैं । जो एक साइड का समर्थन करते हैं वो लाइक करें और जो दूसरी साइड को वो कमेंट करें । और जो केवल मजा लेना चाहते हैं वो शेयर करें । पता चलता सबसे ज्यादा शेयर उत्तर प्रदेश से आ रहे हैं । यहाँ के लोगों का तो काम ही मजा लेना है । ऐसे घमासानों में ना जाने कितने घायल होकर पोस्ट करना बंद कर देते हैं । कई लापता की भांति गायब हो जाते हैं या उनकी प्रोफाइल फेसबुक ब्लॉक कर देता है छिछोरी हरकतों के चलते ।
The world has confused itself so much that for the simplest solution which is at hand, it's going for a longer route. बोले तो बगल में छोरा और शहर में हालाडोला ।
बाकी यही सब चल रहा है आजकल , आगे भी चलता रहेगा । सर्दी है ही वो बात अलग है । वैसे आपका क्या मानना है ? ये जो बकवास मैंने ऊपर लिखी है वो कैसी है : अपनी राय देने के लिए कमेंट ( सहमत) , लाइक ( पूर्णतया सहमत) और शेयर ( माइंड ब्लोइंग टाइप ) कर सकते हैं ।
फिर मिलेंगे !!!
आप सबको क्रिसमस की बधाई ।
नमस्ते !!!