बुधवार, 1 अप्रैल 2015

अब का लिखें ??

 
आज बड़े दिनों बाद की-बोर्ड पर खटर - पटर  करने का मौका हाथ लग गया । 

मौका तो लगा,  पर लिखें का ? समझ नहीं आ रहा था |  सोचा अपने ड्राफ्ट में झांकते हैं , कोई पोस्ट-वोस्ट धाँसू टाइप मिल जाए तो ठेल दी जाए |  अपनी पोस्टें खुदइ के पल्ले नहीं पड़ी | तब समझ में आया जनता पर काफी अत्याचार फैला रखा है अपन ने |

फिर सोचा जरा सबके हाल चाल लिए जाएँ | जनता कहाँ है , कैसी है , किन किन हालात से गुज़र रही है | जरा ये सब पता किया जाए , मौका-ए-वारदात का जायजा लिया जाए ।पर जनता घणी बिजी | लोग-बाग़ अपने अपने में लगे हुए हैं | कोई किरकेट में बिजी की इंडिया काहे हार गयी , कोई पोलिटिक्स में “आप" की छीछालेदर पर ज्ञान बाज़ी कर रहा है | कुछ इसी में बिजी की दीपिका पादुकोण का नया विडियो आ गया है |

इसके अलावा भी बहुत से काम में जनता बिजी है | ऊ सब पता लगाके अपन आप को इन्फॉर्म करेंगे |

पर मुद्दा अभी भी यही रहा की का लिखा जाए |  लिख तो अपन अपने बारे में भी सकते हैं की अपन कितने महान टाइप हैं | फिर लगा की ये मौका तो आने वाले वक़्त में बहुत लोग उठाना चाहेंगे , तो यहाँ भी लिखने के बारे में नहीं सोचे |

जब बहुत देर तक सोच लिए और कुछ समझ ना आया की का लिखें , तो अनूप जी याद आ गए | काहे की वो हमसे एक बार कहे रहे की “जब तक अच्छा लिखने के बारे में सोचोगे तो कभी नहीं लिख पाओगे , जो मन में आये लिख डालो” | तो लिखने से पहले उन्हैये को फोनिया दिए |

फ़ोन उठाते ही उन्होंने पूछा “और क्या चल रहा है ?” हमने भी कह दिया “काम में लगे हुए हैं” | वो बोले “ अप्रैल फूल मत बनाओ, अगर काम में ही लगना था तो अमरीका जाने का का फायदा , यहीं कर लेते” |  ये बात उन्होंने फेसबुक पर भी सटा दी | जनता दनादन लाइक कर गयी |  काफी जनता लाइक करने में भी बिजी है |

अनूप जी को भी अपनी दुविधा बताये की बहुत जोर लिखास चढ़ी है , पर लिख नहीं पा रहे | उन्होंने कहा लिख मारो , जो होगा देखा जाएगा | हौंसला थोड़ा और बढ़ा |  फिर वो ये कहके फ़ोन रख दिए की चलो जरा देखा जाए कहीं कोई हमसे बड़ी बेवकूफी का काम ना कर जाए

११ महीने पहले जब पोस्ट ठेले थे , तबसे अब तक बहुत सारी घटनाएँ हो गयीं | देश में अच्छे दिन आ गए | दिल्ली में तो और भी अच्छे दिन आ गए |  जब दिल्ली में और अच्छे दिन की जुगत बोले तो चुनाव चल रहे थे , तब अपन दिल्ली में ही भटक रहे थे |  चुनावी माहौल में बहुत चीज़ें देखने लायक थीं | सोचा था इसके बारे में वापस जाकर लिखेंगे पर लिखने से पहले मजा किरकिरा हो गया |  खैर का कहें, बस लिखने का स्कोप एक बार फिर हाथ से निकल गया |

बीते दिनों  अपन की लाइफ में दो घटनाएँ और और हो गयीं : पहली तो अपन की शादी तय हो गयी , और दूसरी बात की अपन की शादी हो भी गयी |  अपन के यहाँ अपन को “हम" कहते हैं | मैडम ( श्रीमती जी ) के यहाँ अपन कहते हैं | अपन की भी अपन कहने की आदत पड़ गयी है | और इससे हमारे पिताजी का कथन भी सही साबित हुआ की खरबूजे को नहीं बल्कि खरबूजी को देखकर खरबूजा रंग बदलता है

खैर , अब और का बताएं | अनूप जी भी बोले की तुम्हारे फेसबुक स्टेटस से लगता है की तुम बड़े जल्दी टिपिकल पति बन गए हो,  दुविधा खुल के फेसबुक पर लिख रहे हो , कहाँ से सीखा ? अपन ने भी कह दिया की सब विद्वजनों की संगत का असर है |

शादी को दो महीने से ज्यादा टाइम हो गया है |  अपनी लगभग सारी पोस्टें मैडम को पढ़ा झेला चुके हैं |  हर पोस्ट सुनने के बाद , दूसरी तरफ चेहरा करके मैडम कहती हैं “अच्छा लिखते हो” | दर्द छुपा ले जाती हैं |  उन्होंने भी वादा किया है की जल्द ही वो भी कुछ लिखेंगी | शायद हमारे शादी-काण्ड के बारे में,  काहे की कुछ मजेदार घटनाएँ वहां भी हुई हैं | खैर अब ये उनके ऊपर है |

फिलहाल बिना कुछ सोचे-समझे  अपन इतना ठेल दिए बोले तो   लिख-मारे | अब लिख दिए तो लिख दिए | आप मारना - वारना नहीं अपन को |

बाकी तो ये पबलिक है , सबइ कुछ जानती है |  बाद में मिलते हैं , तब तक टाटा !!!

-- देवांशु

6 टिप्‍पणियां:

  1. हम भी अपने मैडम को खरबूजी ही कहते हैं कभी-कभी. ;)

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  2. भाभी जी की पोस्ट का इंतजार रहेगा.. अनूप जी का कहा तो शानदार होता ही है। मालिक आपकी आई डी में 007 और भाभी जी की आई डी में 05? इसके पीछे भी कोई कहानी है क्या? :p

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  3. ये तो शुरआत किये हो। लिखे कहां हो! लिखॊ भी अब कुछ!

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  4. सही बात है, लिखने का झांसा देके गायब हो गए.... कुछ लिखो भी, नहीं तो भाभी को बोलो कुछ लिखने को.... उनका ब्लॉग भी पढे हम, अँग्रेजी वाला... :)

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  5. Congrats:)
    Keep writing and keep sharing....
    Will wait for the post by Bhabhi ji:)

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  6. खरबूजे को नहीं बल्कि खरबूजी को देखकर खरबूजा रंग बदलता है | 😂😂😂😂

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